
- 22वर्ष बाद आया सीमांकन में फैसले से मिला न्याय
- दो अधिवक्ता के बीच का था निजी जमीन विवाद,प्रतिवादी जल्द न आए फैसला ले रखा था स्थगन।
सुल्तानपुर।सुप्रीम कोर्ट/उच्च न्यायालय या बोर्ड आफ रेवन्यू का निर्देश भले ही जल्द मुकदमा निस्तारण का फरमान दे रखा हो।लेकिन यदि अधिवक्ता ही मुकदमे में पेंच फंसा दे तो फैसला आना मुश्किल है।फिलहाल सीमांकन के एक वाद में 22वर्ष बाद पैमाईश करने का आदेश आया है।यह आदेश डिप्टी कलेक्टर/अतिरिक्त मजिस्ट्रेट विदुषी सिंह (Deputy Collector Vidushi Singh) ने दिया है।इस फैसले की चहुओर सराहना हो रही है।

मामला धनपतगंज ब्लाक के धोबीभार गांव से जुड़ा है।गाटा संख्या 54/0.020हे.की नाप जोख हेतु वर्ष 2001में छेदी बनाम राम फेर आदि का मुकदमा हद बरारी के लिए दायर हुआ।राजस्व निरीक्षक मायंग की आख्या,नजरी नक्शा पेश हुआ।तारीख पर तारीख व आपत्ति पर आपत्ति का दौर चलता रहा।उभय पक्ष से द्वारिका प्रसाद दुबे व चंद्र मणि पांडेय अधिवक्ता है।बीच में उसी कोर्ट से स्थगन आदेश भी प्रभावित रहा।इधर बहस के बाद जैसे ही पत्रावली आदेश में लगी तो प्रतिवादी द्वारिका प्रसाद ने डीएम के यहां ट्रांसफर प्रार्थना पत्र दे डाला।खैर तब तक देर हो चुकी थी।डिप्टी कलेक्टर विदुषी सिंह ने कानूनगो मायंग की आख्या 17 जून व 24 जुलाई 2001की पुष्टि कर फैसला दे दी थी।फिलहाल 22वर्ष बाद हुए इस आदेश से डिप्टी कलेक्टर विदुषी सिंह के निर्णय की सराहना चहुंओर हो रही है।