Sunday, April 20, 2025
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प्रतापगढ़ में प्रधानाचार्य बनने पर बोले शैलेश सिंह:-जीआईसी में 15 वर्षो की सेवा ही मेरा सपना,संकल्प व जुनून…

  • राजकीय इंटर कॉलेज में 15 वर्षो की सेवा में बच्चों का प्यार भुलाना मेरे लिए असंभव
  • राजकीय हाइस्कूल कंधई मधुपुर,प्रतापगढ़ के प्रधानाचार्य बने शैलेश कुमार सिंह

दस्तक भारत ब्यूरो

सुल्तानपुर।जिले के राजकीय इंटर कॉलेज में पिछले 15 वर्षों से वाणिज्य प्रवक्ता के रूप सेवा दे रहे शैलेश सिंह का सुल्तानपुर प्रतापगढ़ सीमा पर स्थित राजकीय हाइस्कूल कंधई मधुपुर के लिए शासन ने प्रोन्नति पश्चात तौनाती किया है।दस्तक भारत न्यूज की विशेष खबर में प्रवक्ता श्री सिंह ने जीआईसी में दिए अविस्मरणीय 15 वर्ष के अनुभव व कार्यो को साझा किया है।प्रवक्ता शैलेश सिंह प्रोन्नति मिलने के बाद अब प्रधानाचार्य की कुर्सी संभालेंगे।

शैलेश सिंह बताते है कि जब वह अपनी पहली सरकारी नौकरी विकास भवन में सहायक लेखाकार के पद से कार्यमुक्त होकर 18 अगस्त 2008 को पहले दिन जीआईसी के गेट के अंदर प्रवेश कर रहे थे तो प्रमुख द्वार खुला मिला,बच्चे यहां वहां घूम रहे थे और पहली नजर में अराजकता का माहौल दिखा,छात्र असंसदीय भाषा मे एक दूसरे को संबोधित भी कर रहे थे।उन्होंने बताया कि जीवन मे अनुशासन मेरी पहली प्राथमिकता होती है।श्री सिंह ने शुरुआती शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय ,हाइस्कूल और इंटर सरस्वती विद्या मंदिर,स्नातक एवं परास्नातक की शिक्षा के एन आई से तथा बी एड इग्नू से प्राप्त किया है।श्री सिंह के पिता डॉ राम सकल सिंह ,के एनआई में विभागाध्यक्ष वाणिज्य के पद पर कार्यरत थे और साल 2016 में सेवानिवृत्त हुए है ।श्री सिंह अपने पिता को अपना आदर्श मानते है।श्री सिंह ने बहुत अल्प समय के लिए के एन आई तथा राणा प्रताप कॉलेज में भी अंशकालिक प्रवक्ता के रूप में कार्य किया है। श्री सिंह ने जहां से शिक्षा प्राप्त की और जहां जहां कार्य किया वे सब जगह अनुशासन के लिए आज भी जानी जाती है,ऐसे में जीआईसी में उनके लिए पहले दिन का वातावरण देख कर बहुत पीड़ा हुई व चुनौती नजर आई।

जहा भी रहे चुनौती को अवसर समझें-शैलेश सिंह

शैलेश सिंह का कहना है कि जब वह 15 वर्ष पूर्व विद्यालय में पदभार ग्रहण किए तो विद्यालय की हालत दयनीय थी लेकिन चुनौती को देखकर पहले दिन ही संकल्प लिया कि विद्यालय की व्यवस्था में अधिक से अधिक योगदान देने का प्रयास करूंगा। विद्यालय में जब से कदम रखा तब से अनुशासन व संस्कार देना मेरी प्राथमिकता रही है।अगर जीआईसी के शुरुआती दिनों की बात करे तो प्रायः छात्र दोपहर के बाद बिना अनुमति घर निकल जाते थे।जिसे देखकर मैंने बच्चों को सुबह की प्रार्थना सभा मे प्रेरित करने का काम शुरू किया।जिसे कुछ बच्चों ने गंभीरता से लेना शुरू किया और अब वह विद्यालय में पूरे दिन समय देने लगे।जिनमे से कुछ छात्र आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सेवाएं दे रहे है।अनुशासन स्थापित करने में विद्यालय के मेरे वरिष्ठ शिक्षक रहे डॉ राजकरन,अनिल कुमार राबिया के साथ अन्य शिक्षकों ने बहुत सहयोग दिया।जिसके कारण वर्तमान में जिले के सरकारी विद्यालयों में जीआईसी अपना एक अलग स्थान रखता है।

प्रधानाचार्य का प्रभार मिलने पर किया नया प्रयोग

जीआईसी में शैलेश सिंह वरिष्ठतम प्रवक्ता रहे जिस कारण कई बार उन्हें प्रधानाचार्य का चार्ज मिला।ऐसे में उन्हें एकबार सेवा निवृत्त प्रधानाचार्य जे पी यादव के कार्यकाल में 10 दिन के लिए चार्ज मिला तो शैलेश सिंह में सुबह विद्यालय में छात्रों को आगमन के बाद प्रमुख द्वार बंद कर देने की व्यवस्था बनाई,गेट पर गेटकीपर तौनात किया।शिक्षकों को विद्यालय में ही चाय पिलाने की व्यवस्था की शुरुआत किया।आखिरी वादन में योग के साथ ही बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर जोर दिया।जिले का मूल निवासी होने के नाते विद्यालय के समस्त स्टाफ और विद्यालय के बाहर के प्रतिष्ठित लोगों व अभिभावकों ने पूरी तरह से सहयोग प्रदान किया।24 अगस्त 2019 को तत्कालीन प्रधानाचार्य जेपी यादव का तबादला हुआ तो इन्होंने फिर चार्ज लिया। उस समय विज्ञान वर्ग फाइनल ईयर की क्लासेस व प्रयोगशाला जीआईसी के दूसरे परिसर में चलती थी,जिसके कारण छात्र दिन भर इधर से उधर घूमते रहते थे और सड़क दुर्घटना का भी भय रहता था इस समस्या को दूर करने के लिए साथी शिक्षक अच्छेलाल कौशल,केशव प्रसाद सिंह जी के सहयोग से विद्यालय में एकजुटता पर जोर देने का कठिन फैसला लेते हुए सड़क उस पार की समस्त क्लासेस मुख्य परिसर में ट्रांसफर कर दीं ।इसके साथ ही विद्यालय में अनुशासन बनाये रखने के लिए नई व्यवस्था की शुरुआत करते हुए हर वादन में अनुशासन स्थापित करने के लिए अपने साथ साथ अन्य शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की ।इतना ही नही अभिभावक के साथ मीटिंग की व्यवस्था शुरु हुई।

विद्यालय परिवार में शिक्षकों के साथ तालमेल बिठाना चुनौती

प्रधानाचार्य शैलेश सिंह बताते है कि विद्यालय में हर एक शिक्षक के विचार व प्राथमिकता अलग होती है।दो महीने से कुछ अधिक के प्रभारी प्रधानाचार्य की श्री सिंह की पारी का अंत, नए प्रधानाचार्य अनिल कुमार सिंह के कि 31.10.19 को चार्ज लेने के साथ हो गया।श्री सिंह बताते है कि विद्यालय भी एक परिवार है परिवार में कभी कभी मतभेद होते रहते है। श्री सिंह को एक बार फिर 06 मई 2022 को प्रधानाचार्य की कुर्सी मिली और 9 जुलाई को विजय कुमार सिंह प्रधानाचार्य के रूप में प्रभार ग्रहण किये और ये पारी भी 2 महीने में समाप्त हो गई ।इस बार अधिकांश समय ग्रीष्मावकाश में चला गया। श्री सिंह ने सालों से बंद पडे कमरों को खुलवाया और पुनः प्रयोग लायक साथी शिक्षकों के चंदे से किया।इसका सबसे बड़ा उदाहरण जीआईसी का कण्ट्रोल रूम/मोनिटरिंग सेल कक्ष है।

जीआईसी में शुरु हुई पुस्तक बैंक की अनोखी व्यवस्था

शैलेश सिंह ने जीआईसी में नए प्रयोग करते हुए विद्यालय को एक प्राइवेट स्कूल से भी बेहतर बनाने का प्रयास किया।श्री सिंह ने बताया कि विद्यालय में बहुत ही निम्न व मध्यम वर्गीय परिवार से बच्चे आते है जिसके लिए विद्यालय में वर्ष 2023-24 में पुस्तक आदान प्रदान करने की व्यवस्था छात्रों की सहमति से शुरू की गयी।जिसके अंतर्गत विद्यालय के सीनियर अपने जूनियर को अपनी पढ़ी हुई किताबें निः शुल्क देने का एक वृहद क्रम अभी तक जारी रखे है।इस पहल से अब तक विद्यालय के 250-300 छात्रों को लाभ मिल चुका है और आर्थिक खर्च भी कम हो गया है।इसके साथ ही विद्यालय के सभी छात्रों को मल्टी कलर आईकार्ड और रिजल्ट कार्ड की व्यवस्था श्री सिंह ने ही शुरु की थी ।इतना ही नही विद्यालय के शिक्षक गायत्री प्रसाद तिवारी, केशव प्रसाद सिंह, पंकज शुक्ला व अच्छे लाल (परीक्षा प्रभारी) के सहयोग से निजी स्कूलों की तरह विद्यालय में छात्रों को प्रतिदिन का गृहकार्य लिखने के लिए डायरी तैयार कराई गई थी

नए विद्यालय में भी नया होगा दृढ़ संकल्प

गौरतलब है कि शैलेश सिंह का प्रोन्नति के साथ तबादला राजकीय इंटर कॉलेज मधुपुर में प्रधानाचार्य के पद पर हो गया है। जिसको लेकर श्री सिंह ने बताया कि विद्यालय मेरे लिए नया जरूर है लेकिन मन में संकल्प है व प्राथमिकता है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिले।वे कहते है कि नवाचार का क्रम जारी रहेगा।

प्रारम्भिक शिक्षा ने सिखाया अनुशासन व संयमित जीवन शैली

प्रधानाचार्य शैलेश सिंह ने 8 तक की शिक्षा केंद्रीय विद्यालय से, हाइस्कूल व इंटरमीडिएट सरस्वती विद्या मंदिर से प्राप्त किया है जहाँ पर उन्हें शैक्षिक ज्ञान के साथ जीवन मे अनुशासन व संस्कार का महत्त्व समझ आया।इसके बाद उन्होंने स्नातक,परास्नातक की शिक्षा केएनआई से ग्रहण किया।जिसके बाद उन्होंने इग्नू विश्विद्यालय से बीएड भी किया।बताते चले कि शैलेश सिंह के पिता डॉ राम सकल सिंह केएनआई में विभागाध्यक्ष वाणिज्य के पद से सेवा निवृत्ति हुए है। यही नही इनकी धर्मपत्नी डॉ सोनाली सिंह (एम कॉम, पी एच डी,नेट)भी राजधानी लखनऊ के बेसिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत है।