
- पटना ग्राम में चल रही भागवत कथा
धनपतगंज,सुल्तानपुर।पांचवें दिन की भागवत कथा में आचार्य राधेश शास्त्री जी ने बताया कि पूत का अर्थ है पवित्र। जो पूत नहीं है वह पूतना है। प्रश्न यह है कि पूतना 3 वर्ष के बच्चे को ही क्यों मारती है, और शिशु वय की आगे की अवस्था वाले बालकों को क्यों नहीं मारती? जीवन की चार अवस्थाएं हैं- जागृति,स्वप्न,सुषुप्ति, तुर्यगा।जागृत अवस्था में पूतना आंखों पर सवार हो जाती है। आंखों की चंचलता मन को चंचल करती है। इस प्रकार जागृति, स्वप्न और सुषुप्ति- इन तीनों अवस्था में अज्ञान सताता है, अर्थात पूतना 3 वर्ष तक के शिशु को मारती है। यशोदा बुद्धि है और नंद जीव। बुद्धि और जीव दोनों ही यदि कृष्ण के साथ रहें तो कोई विपत्ति नहीं आती। पूतना राजा बलि और रानी विंध्यावली की पुत्री रत्नमाला ही पूतना थी। वस्तु को देखने वाला जीव है, और भाव को देखने वाला भगवान है।
उक्त बातें मनीपुर, पटना ग्राम में चल रही भागवत कथा में आचार्य राधेश शास्त्री जी ने बताया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महंत श्री प्रपन्नाचार्य जी महराज, प्रताप नारायण शुक्ला, कपिल देव तिवारी, अनुराग द्विवेदी (पत्रकार दस्तक भारत),अंजनी तिवारी पत्रकार, अरुण उपाध्याय (पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन),करुणा शंकर द्विवेदी,पंडित रामचंद्र मिश्र (एडवोकेट),राम विशाल तिवारी (एडवोकेट),राजेंद्र बहादुर सिंह,श्याम प्रकाश सिंह,दरोगा शुक्ला, राम लोचन शुक्ला, गोरखनाथ शुक्ला, राघवेंद्र प्रताप सिंह, राज बहादुर तिवारी, अर्जुन पांडेय भाजपा क्षेत्रीय प्रभारी, महेश कुमार पांडेय (इटौरा) ने कथा व्यास को माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया।