Tuesday, May 13, 2025
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सुल्तानपुर मे नजूल की भूखंड पर स्वीकृत मानचित्र को SDM ने किया निरस्त,बाबू ने असेसमेंट रजिस्टर का फाड़ा पन्ना…

गुमराह कर नजूल की भूखंड पर स्वीकृत मानचित्र सुनवाई के बाद हुआ निरस्त

नगर के शाहगंज मोहल्ला स्थित म.न. 443 की करोड़ों की जमीन को हथियाने का मामला।

डीएम साहिबा,ऐसे भ्रष्ट कर्मियों पर कब होगा एक्शन

सुलतानपुर।नगर के करोड़ों की बेशकीमती नजूल की जमीन पर नियम विरुद्ध स्वीकृत मानचित्र को नियत प्राधिकारी/एसडीएम सदर ने सुनवाई के उपरांत निरस्त कर दिया है।जिससे करोड़ों की जमीन औने पौने दाम में हासिल करने वाले क्रेता/विक्रेता व भूमाफियाओं ने हड़कंप मच गया है।

मामला शाहगंज चौराहे से राहुल टाकीज रोड पर स्थित नजूल भूखंड संख्या 67,68 का है।जहां पर नियत प्राधिकारी,विनियमित क्षेत्र/एसडीएम सदर को गुमराह कर 19जुलाई को मानचित्र स्वीकृत करा लिया था।वर्ष1937 से रह रहे मृतक राज नारायण पांडेय के एकलौते बेटे इंद्र प्रकाश पांडेय की ओर से नामित अधिवक्ता द्वय अनुराग द्विवेदी व नवीन शुक्ल ने बताया कि चार माह तक चले मुकदमे के उपरांत म.न.443 का मानचित्र सं.57/23 अभिषेक बरनवाल,मानचित्र सं.58/23शिव सुंदर गुप्ता,मानचित्र सं.59/23अनुज कसौधन की तरफ से 19जुलाई को नक्शा स्वीकृत हुआ था।जिसे एसडीएम सदर सीपी पाठक ने शासनादेश व नजूल/राजस्व महकमे की विस्तृत आख्या पर 23 दिसंबर को निरस्त कर दिया है।यह आदेश धारा7ए आरबीओ एक्ट1958 के तहत सुनवाई के उपरांत किया गया।

यही नहीं जहां पर मानचित्र स्वीकृत किया गया, वह एनजेडए की खतौनी में दर्ज है।तहसीलदार सदर की आख्या से स्पष्ट है कि गाटा संख्या67,68 नजूल भूमि है।एडीएम वित्त के जरिए नजूल विभाग की आख्या में मुतलका छावनी सदर,शाहगंज हैं।पट्टे की अवधि 1947 में खत्म हो गई थी।2007 तक भी नवीनीकरण नही कराया गया।तीनो मानचित्र धारकों के पक्ष में नजूल भूमि फ्री होल्ड भी नही है।बैनामे की चौहद्दी के अनुसार गाटा संख्या459 में है।अतएव नक्शा गलत स्थल पर पास हुआ है।स्पष्ट शासनादेश भी है कि नजूल भूमि पर किसी कीमत में नक्शा स्वीकृत न किया जाय।यही नहीं यदि निर्माण हुआ तो ध्वस्तीकरण किया जायेगा।इसी से जुड़ा गाटा 53 पर निर्मित भवन को गिराने का आदेश डीएम व कमिश्नर के यहां से हुआ था,उच्च न्यायालय में लंबित हैं।फिलहाल जहां पर नक्शा निरस्त हो जाने से भूमाफियाओ व बैनामा धारकों के साथ ही बेचने वालो में हड़कंप मच गया है।वही वर्ष37 से काबिज इंद्र प्रकाश पांडेय के परिवारीजनो में खुशी हैं।

असेसमेंट रजिस्टर का पन्ना फाड़ दूसरे का दर्ज कर दिया नाम,ऐसे शुरू हुआ नगरपालिका में खेल-

वर्ष 1937 से पट्टा धारक विश्वंभर नाथ के साथ राज नारायण पांडेय रहते थे तब से काबिज रहे,जब राज नारायन की मौत 1980 में हो गई तो कई भूमाफियाओं ने मिलकर करोड़ों की जमीन पर कब्जा करने की नियत से नगर पालिका कर्मियों से सांठगाठ कर मोटी रकम देकर असेसमेंट रजिस्टर में हेर फेर करने के लिए 1980 से85 का पन्ना फाड़ दिया गया,85से90 में सीधे सरस्वती देवी का नाम दर्ज करा लिया।फिर भूमाफिया बैनामे पर बैनामा करते जा रहे हैं।मृतक के बेटे इंद्रप्रकाश ने दाखिलखारिज हेतु आवेदन नियमानुसार किया है।लेकिन बाबू से लेकर पालिकाध्यक्ष तक स्वजातीय लोगो को संरक्षण दे रहे हैं।बाबू का तो यहां तक ऐलान है तुम्हे किसी कीमत पर लेने नही दूंगा।आज भी सिविल कोर्ट में स्वामित्व विवाद लंबित है।यहां पर भी आपस में सुलहनामा दाखिल कर खेल मुकदमे की कार्यवाही समाप्त कर आर्डर पक्ष में चाहते थे,लेकिन दांव उल्टा पड़ गया पक्षकार इंद्र प्रकाश पांडेय कोर्ट में हाजिर हो गए।फिलहाल दूसरे मुकदमे में स्थगनादेश भी है।

पत्रावली आनलाइन तो है लेकिन ढूंढे नहीं मिल रही हैं।यही नहीं ये बैनामाधारक येन केन प्रकारेण करोड़ों की सम्पत्ति जबरन हथियाने के लिए धमकी देना शुरू कर दिए हैं।इन्ही की सह पर इनके करीबी दास ज्वेलर्स ने 13 दिसंबर को इंद्रप्रकाश के बेटे अंबरीश पांडेय को कहा कि मुकदमा न लड़ो कुछ ले लो।अन्यथा जो करोड़ों की जमीन ले सकता है तुम्हे भी रास्ते से हटा सकता हैं।एसपी व नगर कोतवाल से शिकायत भी किया है।