
हाईलाइट्स:-
- बजट में खाद,पानी,बिजली का न तो जिक्र न ही घरेलू गैस के दामो में घटोत्तरी
- लुभावन घोषणाओ का संग्रह है बजट
- स्वास्थ्य बीमा,होम लोन आदि पर कोई छूट नही-प्रो. अनुपम
- जनभावनाओं का आदर है बजट-प्रो.ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह
- समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है बजट-प्रो. सुनील कुमार
सुल्तानपुर।यह एक चुनावी बजट है।मध्यम वर्ग को छला गया है।किसानों के हित में खाद पानी बिजली पर कोई चर्चा नही हुई।न ही बढ़ते घरेलू गैस के दामों के कमी का ही ऐलान किया गया है।बजट पर जिले के साहित्यकार,शिक्षक,गृहणी आदि की तीखी प्रतिक्रिया आई है पेश है दस्तक भारत की एक रिपोर्ट-
- लुभावन घोषणाओ का संग्रह है बजट-डॉ डीएम मिश्र
जन कवि डा.डीएम मिश्र ने कहा कि इस बजट में लोक लुभावन घोषणाएं खूब की गयी हैं।इससे मंहगाई कम होने वाली नहीं है। आमजन की जेब और खाली होगी नौकरी पेशा वाले थोड़ी बहुत राहत महसूस कर सकते हैं। इनकम टैक्स में थोड़ी राहत तो जीएसटी में कोई कमी नहीं की गई

- लोकसभा चुनाव का ट्रेलर यह बजट
कमला नेहरू शिक्षण संस्थान के पूर्व प्राचार्य डा.राधेश्याम सिंह ने बताया कि हम सभी जानते हैं कि अगले साल लोकसभा चुनाव हैं,बजट इसे देखते हुए बनाया गया है।मेरी नज़र में यह जनता के सेंटीमेंट को छूने का प्रयास है।इस मिले जुले बजट में आधारभूत संरचनाओं को दृढ़ करने का प्रयास है।शिक्षा के बजट में कोई वृद्धि नहीं है। ग्रामीण स्टार्ट अप को बढ़ावा दिया गया है,पर यह नहीं बताया गया कि स्टार्ट अप में युवा बिना प्रशिक्षण के जाएगा कैसे?किचेन की चिमनी के दाम बढ़ाना,रसोई गैस के दाम को न घटाने से मध्यवर्ग में निराशा भी है। किसान मजदूर की समस्या उसके खाद,पानी,बिजली का जिक्र नहीं स्टार्ट अप कैसे स्थापित होंगे?

- स्वास्थ्य बीमा,होम लोन आदि पर कोई छूट नही-प्रो. अनुपम
वही केएनआईटी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अनुपम अग्रवाल ने कहा कि स्वस्थ बीमा,होम लोन आदि पर कोई छूट नही दी गई है।वही आंगनबाड़ी कार्यकत्री किरन मिश्रा ने कहा कि
हम लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि आगे लोकसभा का चुनाव आने वाला है, शायद सरकार आधी आबादी यानी महिलाओं का कुछ विशेष ख्वाल रखेगी और रसोई में कुछ रौनक बढ़ेगी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।मानदेय पर काम कर रही आंगनबाड़ी एवं आशाबहुओं को बडी़ उम्मीद थी कि उनसे हर प्रकार की सरकारी योजनाओं मे काम लिया जाता है, कुछ न कुछ सरकार उनके बारे में सोचेगी पर निराशा ही हाथ लगी।
- जनभावनाओं का आदर है बजट-प्रो.ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह
राणा प्रताप पीजी कालेज के असिस्टेंट प्रो.ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह रवि ने बताया कि बजट 2023 में जनभावनाओं का आदर किया गया है । लेकिन इससे न तो मंहगाई कम होते दिख रही है और न ही बेरोज़गारी। लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस बजट से कर्मचारी, व्यापारी, बेरोजगार आदि काफी आशान्वित थे पर सभी आशायें फलीभूत नहीं हुईं। दुनिया की टाप फाईव इकोनॉमी में भारत शिक्षा पर सबसे कम खर्च करने वाला देश है।इस बार भी शिक्षा पर इस बजट में ज्यादा फोकस नहीं है।
- समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है बजट-प्रो. सुनील कुमार
वही राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रो. सुनील कुमार त्रिपाठी ने कहा कि चुनाव पूर्व अंतिम पूर्ण बजट पेश हुआ।अमृत काल के इस पहले बजट में पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर समावेशी विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस बजट में सरकार ने गांव ,गरीब किसान मध्यवर्ग सभी के लिए कुछ न कुछ रियायतें देकर सबको संतुष्ट करने का प्रयास किया है। कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप किसानों के आमदनी को बढ़ाने में मील का पथर साबित हो सकता है
गृहणी सुषमा रानी सिंह कहती हैं कि इस बजट ने रसोई को कोई राहत नहीं दी है। दाल,दूध,आटा ,गैस जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्य वृद्धि पर बजट में कुछ नहीं कहा गया है।ऐसे में बजट पेश कर सरकार ने केवल खाना पूर्ति की है।जनता की राहत के लिए कुछ भी नही हैं।