Monday, May 12, 2025
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एक थप्‍पड़ से जरायम की दुनिया में एंट्री, 35 केस पर किसी में सजा नहीं,गोरखपुर की राजनीति से सीएम योगी के निशाने पर था ब्राह्मण नेता विनोद उपाध्याय

शार्प शूटर विनोद उपाध्‍याय ने गोरखपुर छात्रसंघ चुनाव से बनाई पहचान
2005 में संत कबीरनगर में एक अपराधी की हत्‍या के बाद चर्चा में आया
लखनऊ के फ्लैट में रहने के दौरान पड़ोसियों को बताया था वह पूर्व मंत्री है

बीएसपी से चुनाव लड़ चुका गैंगस्टर विनोद उपाध्याय एनकाउंटर में ढेर,सुल्तानपुर में यूपी STF का ऑपरेशन

यूपी के सुल्तानपुर में एसटीएफ ने बड़े माफिया और शार्प शूटर विनोद कुमार उपाध्याय को एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया है. गोरखपुर पुलिस ने विनोद कुमार उपाध्याय पर 1 लाख रुपये का इनाम रखा था. उसके खिलाफ 35 केस दर्ज थे. जब एसटीएफ की टीम उसे पकड़ने गई तो उसने फायरिंग शुरू कर दी. STF की जवाबी कार्रवाई में वो मारा गया।घटनाक्रम में जीत नारायण का बहनोई गोरेलाल भी मारा गया था. इसके अलावा गोरखपुर में हिंदू युवा वाहिनी के नेता सुशील सिंह को अगवा कर पीटने का भी आरोप विनोद पर था. रेलवे, एफसीआई के ठेके हासिल करने के लिए सरेआम गुंडई भी उसने की थी.

यूपी एसटीएफ की गोलियों का शिकार बना कुख्‍यात शार्प शूटर विनोद उपाध्‍याय को पुलिस करीब सात महीने से ढूंढ रही थी। विनोद गोरखपुर के टॉप 10 माफिया की लिस्‍ट में शामिल था, इसलिए एसटीएफ के साथ गोरखपुर क्राइम ब्रांच भी उसके पीछे लगी हुई थी। मूलरूप से अयोध्‍या के रहने वाले इस माफिया पर गोरखपुर पुलिस ने 1 लाख रुपये का इनाम रखा था। विनोद उपाध्‍याय वर्ष 2004 में तब चर्चा में आया था जब उसने गोरखपुर जेल में बंद चल रहे अपराधी जीतनारायण मिश्र को किसी बात पर थप्‍पड़ मार दिया था। अगले साल 2005 में जीतनारायण जेल से बाहर आया तो विनोद उपाध्‍याय ने संत कबीरनगर में उसकी हत्‍या कर दी। जरायम की दुनिया में विनोद की एंट्री इसी हत्‍याकांड से हुई थी जिसका अंत उसके एनकाउंटर के साथ हो गया।

विनोद उपाध्‍याय ने अपनी पहचान छात्र राजनीति के जरिये बनाई थी। बात 2002 की है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव हो रहे थे। इसमें विनोद ने अपने समर्थन के साथ छात्रसंघ पदाधिकारी का चुनाव एक शख्‍स को लड़वाया था। चुनाव में वह जीत गया और विनोद उपाध्‍याय का रुतबा बढ़ गया। 2007 में बसपा शासनकाल में विनोद उपाध्‍याय की हनक और बढ़ गई थी। उस समय जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन के पद पर उसने एक पूर्व विधायक पक्ष के प्रत्‍याशी को हरवाकर अपने प्रत्‍याशी को चेयरमैन बनवाया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

लखनऊ में पड़ोसी पूर्व मंत्री के रूप में जानते थे

गोरखपुर, बस्‍ती और संतकबीरनगर में विनोद उपाध्‍याय के खिलाफ 35 मुकदमे दर्ज हैं। खास बात ये है कि इनमें से आज तक किसी मामले में उसे सजा नहीं मिल पाई। कुछ महीने पहले यूपी सरकार ने गोरखपुर के टॉप 10 अपराधियों की सूची जारी की थी। इसके बाद से ही पुलिस उसके पीछे पड़ गई। लखनऊ समेत यूपी के तमाम जिलों में उसकी तलाश की जाने लगी। जून, 2023 में गोरखपुर पुलिस की एक टीम जब विनोद को ढूंढने उसके लखनऊ स्थित फ्लैट पहुंची तो कई हैरान करने वाली जानकारियां मिलीं। यहां विनोद के पड़ोसी उसे पूर्व मंत्री के रूप में जानते थे। लखनऊ में विनोद उपाध्‍याय के दो फ्लैट हैं। एक में वह अपने साले के साथ रहता था जबकि दूसरे में उसके गैंग के लोग रहते थे। सर्विलांस की मदद से गोरखपुर की पुलिस टीम जब तक यहां पहुंचती, तब तक माफिया अपने साथियों के साथ फ्लैट पर ताला माकर फरार हो चुका था।

सरकारी वकील ने रंगदारी का मुकदमा कराया था

गोरखपुर के कैंट इलाके में दाउदपुर में रहने वाले पूर्व सहायक जिला सरकारी वकील प्रवीण श्रीवास्‍तव ने माफिया विनोद उपाध्‍याय, उसके भाई संजय, नौकर छोटू समेत कई के खिलाफ रंगदारी मांगने और तोड़फोड़ करने का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्‍होंने आरोप लगाया कि सलेमपुर में उनकी जमीन है। विनोद उपाध्‍याय उनको इस जमीन का जबरन बैनाम करने या प्रति प्‍लाट पांच लाख रुपये रंगदारी देने का दबाव बना रहा है। गुलरिहा थाने की पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर नौकर छोटू को गिरफ्तार कर लिया था