Sunday, April 20, 2025
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Lucknow News:-107 वीं पुण्य जयंती पर याद किए गए भारतीयों को भारतीय संस्कृति से अवगत कराने वाले प्रवर्तक परम पूज्य स्वामी चिन्मयानन्द…

लखनऊ।चिन्मय मिशन के प्रवर्तक परम पूज्य स्वामी चिन्मयानन्द जी की 107वीं पुण्य जयंती मनायी गयी। इस अवसर पर ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य ने बताया की ब्रह्मलीन स्वामी चिन्मयानन्दजी ने चिन्मय मिशन की स्थापना भारतीय संस्कृति की पुर्नस्थापना एवं वैदिक ज्ञान, गीता का रहस्य एवं अन्य शास्त्रों के ज्ञान के विस्तार के लिए ज्ञान यज्ञ की श्रृंखला की शुरुआत हुई थी। स्वामी जी का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को भारतीय संस्कृति से अवगत कराना था। उत्तरकाशी में एक दिन गंगा के तीर पर विचार करते हुए पूज्य गुरुदेव ने देखा कि ब्रह्ममयी मां गंगा का निर्मल जल गोमुख से गंगासागर तक अविरल बह रहा है और सागर में विलीन ही नहीं सागरमय हो जाता है। वैसे ही जीव की यात्रा भी अज्ञान से ज्ञान की ओर, नश्वर से शाखत, अनित्य से नित्य एवं अल्प से अनंत की ओर ले जाने के लिए प्रकरण ग्रन्थों, प्रस्थान त्रयी बृह्मसूत्र, उपनिषद एवं गीता के ज्ञान को भी भारत के कोने कोने तक ले जाने की आवश्यकता है।

आज मिशन के ७0 से अधिक शाखाएं विदेशों में एवं २७५ से अधिक शाखाएं भारत में के द्वारा वैदिक उपनिषदीय ज्ञान का प्रचार प्रसार हो रहा है। साथ ही संदीपनी गुरुकुल सिद्धबारी, हिमाचल प्रदेश में हिंदी में एवं अंग्रेजी में संदीपनी साधनालय, पवई मुम्बई से नए नए ब्रह्मचारी 30 माह का वेदान्त पाठ्यक्रम का ज्ञान प्राप्त कर देश विदेश के विभन्न केन्द्र में वेदांत ज्ञान का कुशलतापूर्वक प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

इस अवसर पर पूज्य स्वामी अभेदानन्द, आचार्य, साउथ अफ्रीका एवं ब्रह्मचारी कौशिक चैतन्य ने स्वामी चिन्मयानन्द के जीवन एवं कृतियों पर प्रकाश डाला तथा गुरुदेव के प्रति श्रद्धांजलि तथा कृतज्ञता प्रकट की । जयंती समारोह गुरु स्तुति, पाद पूजा, निर्वाण षटकम,अष्टोत्तर शतनाम से पाद अर्चना, पूजन एवं संस्मरण, भजन तथा समष्टि भिक्षा के साथ कार्यक्रम पूर्ण हुआ।आज के कार्यक्रम में श्रीमती ऊषा गोविंद प्रसाद, रमेश मेहता, विनीत तिवारी, विष्णु प्रसाद त्रिपाठी, श्रीकांत अरोड़ा, अनिल जैन, सुनीता सिंह, सुमित श्रीवास्तव, सुनील नौडियाल, संजय निगम, अंकुर सिंह, डाक्टर आर एस त्रिपाठी, पूर्ण कांडपाल आदि साधकों ने पूज्य ब्रह्मलीन स्वामी चिन्मयानंद जी के चरणों में अपनी भाव कृतज्ञता प्रकट की।