
आईजी प्रवीण कुमार घटना की कर रहे मॉनिटरिंग
सप्ताह भर बाद भी गिरफ्तारी में लगी एसटीएफ समेत सभी टीमें फेल।
–अधिवक्ता हत्याकांड में वकीलों ने पुलिस को दी सप्ताह भर की मोहलत।
सुल्तानपुर।जिले में अधिवक्ता आजाद हत्याकांड में अभी तक मुख्य आरोपी हिस्ट्रीशीटर व अन्य आरोपी को पुलिस नही पकड़ पाई है।कहने को एसपी ने हत्या के बाद से चार चार टीमें लगा रखी है। फिलहाल एसपी व आईजी प्रवीण कुमार के बाद अब एडीजी जोन ने फरार आरोपियों पर 50हजार से बढ़ा कर इनाम की राशि एक लाख रु कर दी है।इसके बावजूद आरोपियों की धड़पकड़ न हो पाने पर क्राइम कंट्रोल कागजों में सिमट गया है।जिसकी चर्चाएं आम हैं।

एसपी सोमेन बर्मा की माने तो घटना के बाद चार चार टीमें गिरफ्तारी में लगा दी थी।जिसमे थाने की पुलिस के अलावा अपने को तेज तर्रार बताने वाले एसओजी प्रभारी उपेंद्र सिंह समेत एसटीएफ आदि टीमें खाक छान रही है।जिसका नतीजा यह है कि हत्या में नाम जद हिस्ट्रीशीटर सिराज उर्फ पप्पू व इस्माइल उर्फ प्रिंस पुलिस पकड़ से दूर है।अंदर खाने की माने तो प्रदेश की सबसे सक्रिय विंग एसटीएफ भी खाली हाथ हैं।पुलिस की गिरफ्त में आरोपियों का न आना,खुद समर्पण न करने के पीछे पुलिस के कुछ जिम्मेदार व सत्ताधारी नेताओ की गलबहियां मानी जा रही है।वाकया सप्ताह भर पहले अधिवक्ता आजाद अहमद को एक चाय की दुकान पर गोलियां बरसा कर भून दिया था।जिसमे आजाद की तत्काल मौत हो गई थी।भाई मुनव्वर अभी भी केजीएमयू में भर्ती है।सिराज अहमद उर्फ पप्पू और फरार अन्य आरोपियों पर एडीजी जोन ने एक लाख का इनाम घोषित कर दिया है।फिर भी हत्यारे बेखौफ हैं।

अधिवक्ताओं ने दी सप्ताह भर की मोहलत-
वारदात के बाद से बार एसोसिएशन की चल रही हड़ताल को आम सहमति के साथ आगामी एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है। वही अधिवक्ता आजाद हत्याकांड में वांछित सिराज अहमद उर्फ पप्पू व इस्माइल उर्फ प्रिंस के खिलाफ सीजेएम की अदालत से एनबीडब्ल्यू पहले से जारी है। अब 82 की कार्रवाई के बाद 83 यानी संपत्ति कुर्क करने का आदेश अदालत से लेने की कवायद शुरू हो गई है। ऐसे में दोनों हत्यारोपी पुलिस के हत्थे न चढ़े तो उनकी संपत्ति कुर्क होना तय माना जा रहा है।

कोतवाल की गई कुर्सी,अन्य पर गिर सकती है गाज-
अधिवक्ता आजाद की हत्या के मामले में लापरवाही बरतने पर पुलिस अधीक्षक सोमेन वर्मा ने तत्काल प्रभाव से देहात कोतवाल कृष्ण मोहन सिंह को लाइन हाजिर कर दिया है।बताया जा रहा है कि कोर्ट में आरोपियों को पेश करते समय कुछ अधिवक्ताओं से विवाद हो गया था।जबकि सूझ बूझ से काम लेते तो ये नौबत न आती।फिलहाल एसपी ने इन्हे सस्पेंड करने के बजाय लाइन हाजिर कर रहम दिली दिखाई है। फिलहाल एसओजी समेत अन्य टीमें भी कागजी खानापूर्ति ही कर रही है। यदि ऐसा नही है तो स्पष्ट है कि जिले में पुलिस के बजाय अपराध की जड़े गहरी हैं अथवा संरक्षण प्राप्त है।तभी तो क्राइम कंट्रोल डैमेज है और पुलिस नाकाम है।
