
सुल्तानपुर।श्रीमदभागवत केवल एक किताब मात्र नहीं यह भगवान का ही स्वरूप है, भक्तों का तो परमधन है। भागवत सुनना, मतलब भगवान को सुनना।भागवत का श्रवण करना जन्म-जन्मांतर के पुण्यों के उदय का फल है । सुल्तानपुर- धनपतगंज क्षेत्र के (मनीपुर पटना) गांव में आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का प्रथम पुष्प विसर्जित करते हुए कथाव्यास आचार्य राधेश शास्त्री जी महाराज ने बताया कि हम सब भूतकाल के शोक, वर्तमान के मोह और भविष्य के भय से ग्रसित हैं। इससे पीछा छुड़ाने वाली शक्ति का नाम है -भक्ति। यह कहीं दुकान पर खरीदने से नहीं मिलेगी। यह तो हमारे भीतर ही है बस वह सुप्त(सोई हुई) है। वह जागृत होगी भगवान की कथा के श्रवण से।भागवत की कथा श्रवण करने से ईश्वर के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है, जिसके चलते व्यक्ति शोक की जगह आनंद, मोह की जगह सुख और भय की जगह शांति प्राप्त करता है। श्रीमद्भागवत “शोक मोह भयापहा” है। भागवत जी का दर्शन, पठन व श्रवण से पापों का शमन होता है । इसको श्रवण करने की इच्छा करने मात्र से भगवान हृदय में विराजमान हो जाते हैंl
अति हरि कृपा जाहि पर होई। पांव देई यह मारग सोई॥
सत्संग केवल पुरुषार्थ से नहीं मिलता अपितु भगवत्कृपा से ही संभव होता हैl
इस अवसर पर मुख्य यजमान गिरिजा प्रसाद शुक्ला- धर्मपत्नी गायत्री शुक्ला, देवी प्रसाद शुक्ला-धर्मपत्नी जय कुमारी, श्री शैलेंद्र कुमार शुक्ला धर्मपत्नी सर्वा देवी, एवं अर्जुन प्रसाद पांडे (व्यवस्थापक), डॉ डीएस मिश्रा, डॉ आर के मिश्रा, श्री सत्येंद्र पांडे (कोटेदार), प्रभाकर तिवारी (पोस्ट मास्टर), डॉ आशुतोष शुक्ला राम प्रताप तिवारी आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहेl