
- लंभुआ में खाटी भाजपाई को नही जिता सके डिप्टी सीएम,मंत्री व विधायक
- ओवर कांफिडेंस के गुरुर में लंभुआ की लाठी,विजय त्रिपाठी का सपना रह गया अधूरा
- लंभुआ में ब्लाक प्रमुखी व अध्यक्षी में दिखा धनबल व निजी संबंध।
सुल्तानपुर।जिले भर के खाटी भाजपाई हो या सांसद,विधायक व पूर्व मंत्री।किसी का भी जादू लंभुआ में नही चल पाया। इसकी बड़ी वजह भाजपा प्रत्याशी का लोकल न होना व ओवर कांफिडेंस माना जा रहा है।
स्थानीय वोटर व जनता का कहना है कि भाजपा प्रत्याशी विजय त्रिपाठी कहने को स्थानीय थे।किसी से कोई वास्ता नहीं रखते थे।चुनाव लडने की स्टाइल भी कुछ अलग थी।उन्हे जिताने के लिए भले ही डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक,कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी आए रहे हो।इन सबका जादू नही चला।
मतदान व उसके पहले सांसद के निर्देश पर उनके प्रतिनिधि का पुलिसिया दबाव,पूर्व मंत्री भाजपा विधायक विनोद सिंह का पुराना क्षेत्र,वर्तमान विधायक सीताराम वर्मा,पूर्व विधायक देवमणि की चुनावी कांबिंग फेल हो गई।सबको जनता ने नकार दिया।यही नहीं सपा के पूर्व विधायक संतोष पाण्डेय का चुनावी रण क्षेत्र रहा है।वे भी सपा प्रत्याशी को जिता नही पाए।अंदर खाने की माने तो ब्लाक प्रमुख समेत अन्य कई भाजपाई अंगद सिंह के साथ थे।ऐसे में स्वाभाविक रहा जीतना।

- जिपंस तक न बनने वाले अवनीश सिंह को धन बल ने बना दिया अध्यक्ष..
अवनीश सिंह उर्फ अंगद सिंह भले ही जिला पंचायत सदस्य में बुरी तरह हार गए थे।लेकिन क्षेत्र में पहले से ही लगातार बने रहे।चाहे वह कोरोना काल रहा हो या अन्य अवसर,लोगो की मदद करते थे।जब नगर पंचायत का सृजन हुआ तो इसमें भी अध्यक्ष के लिए कूद पड़े।मतदान हुआ,मतगणना शुरू हुई तो लगातार सभी राउंड में आगे बने रहे।वही दूसरे नंबर सपा के अतेंद्र जायसवाल रनर प्रत्याशी रहे।निर्दल सुशील सिंह की पत्नी कुसुम सिंह लगातर बढ़त बनाई रही।यूं कहा जाय तो भाजपा के विजय त्रिपाठी को लंभुआ बहुत ही बुरी हार का सामना करना पड़ा।निर्दल के अवनीश सिंह ने सभी को परास्त करते हुए जीत का परचम लहरा दिया।इस जीत के पीछे अंगद सिंह का धन बल,निजी व्यवहार व भाजपाइयों का भीतरघात काम आया।भाजपाइयों का आश्वासन कोरा साबित हुआ।