
गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने से बढ़ा खतरा,राहगीरो को हो रही भारी समस्या
पीपा पुल बन्द होने से नदी को पार करने का नाव ही एक मात्र सहारा
बिहार राघोपुर (वैशाली) :Bihar Vaishali News गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से राघोपुर में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। प्रखंड के निचले इलाके वाले ढ़ाब पानी से भर गए गए हैं। गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे गांव बढ़ गया है। गंगा के जलस्तर में वृद्धि और पानी के फैलाव से नदी के उस पार जाने का अब एक मात्र सहारा नाव ही है।आलम तो यह है कि गंगा नदी की धारा में नाव भी नही चल पा रही है। स्थानीय लोग व शिक्षक के साथ ही स्कूल बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदी पार कर रहे है।हाल यह है कि तमाम तैयारी के दावों के बीच यहां प्रशासनिक स्तर पर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। निचले इलाके में लोगों के सुरक्षित आने-जाने के लिए नाव व सेफ्टी जैकेट तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। इतना हीं नही गाव के लोग थम एवं ट्यूब नाव का सहारा लेकर पानी आर-पार कर रहे हैं। प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ लोग पशु चारा एवं अन्य कार्यों के लिए जान जोखिम में डालकर ढाब पार करते हैं। फिलहाल राघोपुर Raghopur Vaishali अंचल कार्यालय के स्तर से भी कोई छोटी-बड़ी नाव की व्यवस्था नहीं की गई है।
लोगों का कहना है कि प्रखंड के कई छोटे-छोटे ढाब में पानी भरने के कारण पशुपालक एवं कृषि से जुड़े लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। बाढ़ की आशंका को देख राघोपुर प्रखंड वासी काफी भयभीत राघोपुर दियारे में बसे करीब तीन लाख लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। गंगा किनारे बसे गांव के लोगों की धड़कने बढ़ गई है। वर्ष 2016 के बाढ़ में तबाही का मंजर देख चुके लोगों की बेचैनी बढ़ी है। तब बाढ़ की तबाही से कई लोगों का आशियाना उजड़ गया था। पानी में डूबने से कई लोगों की जान चली गई थी। प्रखंड के फतेहपुर नैकिपारी, रूस्तमपुर पंचायत के जमालपुर, हेमतपुर, चकसिंगार पंचायत के रामपुर बरारी, शिवनगर लंका टोला सहित कई निचले इलाके वाले ढाब में बाढ़ के पानी से खतरा बढ़ गया है।

गंगा का जल स्तर बढ़ने से इन गाँव के लोगो को खतरा
प्रखंड के नैकीपारी, हैवतपुर, परोहा, जफराबाद, जहांगीरपुर, सरायपुर, तेरसिया, हेम्मतपुर, चक सिगार, बहरामपुर, वीरपुर समेत निचले इलाके में बसे लोगों की चिता बढ़ गई है। लोग अभी से पशु एवं अपने लिए ऊंचे स्थान पर शरण लेने के लिए जगह चयनित कर रहे हैं। बाढ़ हो या सुखाड़ लोग अपने हाल पर जीने को मजबूर हैं।