
- शिक्षा उपनिदेशक के पत्र को तवज्जो नही देते डीआईओएस
- चार बार डीआईओएस को कर चुके है पत्राचार फिर भी कोई अमल नहीं।
सुल्तानपुर।जिले के शिक्षा महकमे में भ्रष्टाचार की परते अब उजागर होने लगी है. डायट के प्राचार्य व शिक्षा उपनिदेशक ने एक लिपिक को चार्ज सौंपने के लिए करीब आधा दर्जन बार डीआईओएस से पत्राचार किया। लेकिन डीआईओएस के रहमोकरम के चलते ही साल भर बाद भी डायट का चार्ज देने लिपिक नही गए।जिससे विभागीय पटल का कार्य आज भी अभिलेखों के अभाव में प्रभावित हैं।
- काले कारनामे में संलिप्त बाबू राम शरन
बताते चल डीआईओएस दफ्तर में वरिष्ठ लिपिक राम सरन गुप्ता की तैनाती है।इसके पहले वे डायट में एसएसए के पटल पर करीब दस वर्ष तक तैनात रहे है।पिछले नौ दिसंबर को इनका तबादला डीआईओएस दफ्तर में हो गया।तब से डायट प्राचार्य धर्मेंद्र कुमार ने 16फरवरी,6अप्रैल,एक व 22जुलाई को चार्ज देने के लिए पत्र लिख चुके है।लेकिन मनबढ़ लिपिक होने के चलते राम शरण गुप्ता चार्ज देने नही गए।
अंदरखाने की माने तो इस महकमे में भी ये बाबू सेटिंग गेटिंग में माहिर हैं।जब दूसरे के शिकायती पत्रों को दबा लेते है।यहां तक आन लाइन शिकायतों को भी दबाने में माहिर है।भले ही महकमे की साख खराब हो।निस्तारण में डिफाल्टर हो जाय।अपने अनगिनत आदेश को तो छिपा ही सकते है।फिलहाल चार्ज न देने की वजह चाहे जो हो कुछ न कुछ दाल में काला जरूर है।
डायट में इनकी शिकायते खूब हुई लेकिन रसूख इतना कि सबमे क्लीनचिट मिलती रही।हद तो तब हो जाती है कि तहसील सदर के स्कूलों व शिकायतों का पटल इनके पास है।यहां भी कई शिकायते मोटी रकम लेकर डीआईओएस से सेटिंग कर जांचे दबाए बैठे रहते हैं।अब डायट के प्राचार्य की तरफ से डीएम,सीडीओ,महानिदेशक स्कूल व वित्त महकमे को फिर जल्द ही पत्राचार किया जायेगा।वही सफाई देते हुए डीआईओएस सत्येंद्र कुमार ने बताया कि कुछ चार्ज बचा है बाकी दिया जा चुका है।ऐसे में डायट प्राचार्य के लिखित आदेश के सामने मौखिक आदेश हवा हवाई साबित हो रहा हैं।