Sunday, June 1, 2025
Light
Dark

मिल्कीपुर उपचुनाव में काम नही आएगा सेन परिवार का दबदबा,सेन परिवार का करीबी कर रहा BJP का प्रचार…

मिल्कीपुर,अयोध्या।एक जमाना था जब सेन परिवार की धमक पार्लियामेंट व असेम्बली में हुआ करती थी।हर कोई बाबू जी का कायल रहता था।जमाने के साथ ही इस सेन परिवार का राजनीतिक विरासत भी शिखर से शून्य की तरफ हो चला है।खासम खास लोग व्यक्तिगत सम्बन्ध भले ही रखते हो,चुनाव में इतर ही रोटी सेंकते हैं।जहां तक सवाल राजनीतिक समर का है तो इन्हें छोड़ भाजपा के ग्राफ को बढ़ाने में जुटे हैं।इसके बावजूद सपा प्रत्याशी इन्ही की सहारे नैया पार लगाना चाह रहे है।यही नही सपा सांसद जातिगत अपमान व सम्वेदना में वोट की खातिर रोना शुरू कर दिए हैं।


आइये बात करते है उस सेन परिवार का जिसका एक दो दशक नही कई दशक से राजनीति पर कब्जा रहा है।एक ही परिवार में स्व. मित्रसेन यादव बाबू जी पहले कई बार विधायक फिर सांसद रहे।उसी समय इनके पुत्र आनन्द सेन यादव विधायक व बसपा सरकार में मंत्री रहे।उनकी पत्नी इंदुसेन ब्लाक प्रमुख,बड़े भाई पूर्व डीआईजी अरविंद सेन की पत्नी प्रियंका सेन ब्लाक प्रमुख।वर्तमान में बेटा अंकुर सेन ब्लाक प्रमुख की बागडोर सम्भाल रहे हैं।चाहे राजनीति हो या पैसा अकूत हो जाता है तो हर गलत कदम सही दिखता है।जब बाबू जी कर्म स्थली छोड़ परलोक सिधार गए।उसी के बाद इस परिवार की उल्टी गिनती शुरू हो गई।पूर्व मंत्री आनंदसेन यादव विधि छात्रा के चंगुल में फंस गए।कानूनी शिकंजा में फंसने के बाद राजनीति चौपट होने लगी।वर्तमान में ब्लाक प्रमुखी छोड़ पैदल है।कहने को क्षेत्र में दबदबा है।अभी हाल के लोस चुनाव में सीपीएम से पदच्युत डीआईजी अरविंद सेन चुनाव लड़े जमानत भी नही बचा पाए।फिलहाल सपा सुप्रीमो हो या सांसद डिम्पल यादव व अन्य दिग्गज सपाईयो को भरोसा है कि सेन परिवार का साथ है ऐसे में सपा की झोली में यह हॉट सीट फिर आ सकती हैं।

आधा दर्जन काली वाहनों व बाउंसर से लैश समाजसेवी पीताम्बर सेन उर्फ सन्तोष यादव जैसे कई हवाबाज नेताओ को शायद जमीनी हकीकत नही पता। तभी तो चुनाव लड़ना तो दूर कोई प्रमुख दल टिकट देने को तैयार नही है।फिलहाल सेन परिवार के सम्बंध के नाते सुल्तानपुर व अयोध्या जनपद में ये किसी पहचान के मोहताज नही हैं।ये भले ही राजनीतिक समर मे सफ़लता के फिराक में है।सेन परिवार का बड़ा कुनबा शुरू से कम्युनिस्ट, बसपा व सपा में रह कर राजीनीति कर रहा हो।लेकिन ये नेता जी सपा का तख्ता पलट करने में लगे है।कहते है मेरे व्यक्तिगत सम्बन्ध सेन परिवार से है और रहेंगे।राजीनीति सबकी अलग अलग है।चर्चा है जब टिकट नही मिला तो नेता जी बगावत पर विस व लोस चुनाव से हैं।

देखा जाय तो बगल के जनपद सुल्तानपुर में इसी सेन परिवार का करीबी बताने वाले यहाँ की जनता के बीच कहने को अपनी पैठ बनाये हुए हैं।चाहे लोक सभा हो या विधान सभा चुनाव हो टिकट लेने के लिए सपा,बसपा व कांग्रेस तक का दरवाजा खटखटाये थे।लेकिन इनकी सुनता कौन हैं।टिकट ही नही मिला।इसी खीझ को उतारने के लिए परोक्ष रूप से सुल्तानपुर व अम्बेडकर नगर में भाजपा प्रत्याशी का साथ दिए।खैर दोनों सीटो पर सपा का परचम बुलन्द है।यही नही गोसाइंगज मे खब्बू तिवारी की पत्नी भाजपा से टिकटार्थी थी ये नेता जी उनका साथ दिए हार गई।इसी से साबित है कि लग्जरी वाहनों वाले नेता जी का जनाधार बिल्कुल नही है।खैर रही बात अब मिल्कीपुर उपचुनाव की तो सत्ता का चुनाव माना जाता है।दर्जनो मंत्री व सीएम खुद चुनाव कमान संभाले है।सीट भाजपा की झोली यानी चन्द्र भानु पासवान को जीतना बिल्कुल तय है। यहां के वोटर इस बार इस सीट पर कमल ही खिलाना चाहते है वजह यह है कि विश्व पटल पर श्रीराम नगरी अयोध्या का जो सम्मान बचाना है।

जब पूरा सेन परिवार जनता की नुमाइंदगी करता था तो घर से लेकर राजधानी तक जनता की कतार होती थी।वाकई बाबू जी अपने करीबियों व क्षेत्र की जनता के साथ ही अगल बगल के जिले में भी वर्चस्व रखते थे लोगो की मदद करते थे।जब सपा सरकार थी तो भी इस परिवार का योगदान था और प्रतिनिधित्व भी रहा।वही कई दशक पहले निमड़ी का भवानीफेर यादव हत्याकांड में जब तत्कालीन डिप्टी एसपी ने इनके घर पर दबिश दी तो आरोपी व असलहा बरामद हुआ था।इस पुलिस अधिकारी ने जनता की नुमाइंदगी करने वाले सेन परिवार को बेपर्दा कर दिया था।इस घटना के दौरान इनकी सपा सरकार में सिक्का चलता था।इस बड़ी घटना व संरक्षण से बिरादरी के लोग खिसकने लगे।जब पूर्व मंत्री ने राजनीतिक पारी खेलनी शुरू की तो एक दो टर्म बाद विधि छात्रा से दुराचार फिर हत्या आदि कानूनी शिकंजे ने इनकी राजनीति को फर्श पर ला दिया है।खैर इस सीट पर सपा प्रत्याशी का वोट के रूप में कितना सहयोग कर पाते है यह सेन परिवार के लिए बडी चुनौती है।