
नई दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल के अलंकरण समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू ने शहीद की मां को पुलिस पदक से किया सम्मानित
सुल्तानपुर।आठ वर्ष पूर्व सुल्तानपुर जिले के सीमा सुरक्षा बल 156बटालियन के शहीद महेन्द्र यादव के परिजनों को सीमा सुरक्षा बल के वार्षिक अलंकरण समारोह में अदम्य साहस व वीरता के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है।नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित अलंकरण समारोह में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने शहीद की मां मर्यादी देवी को राष्ट्रपति के पुलिस पदक से अलंकृत किया गया।
कादीपुर तहसील क्षेत्र के मलिकपुर नोनरा गांव के राम शब्द यादव के 23वर्षीय पुत्र महेन्द्र यादव सात अगस्त 2016 की रात पाकिस्तानी सैनिकों के फायर में जवाबी कार्यवाई में शहीद हो गए थे,जिसके उपरांत शहीद के शव को उनके पैतृक गांव लाया गया था,मुड़िला डीह तिराहे पर उनको राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई थी,जहा पर उनके परिजनों के द्वारा शहीद स्मारक का निर्माण कर महेन्द्र यादव की आदम कद की प्रतिमा स्थापित की गई है।राष्ट्रीय पर्व व विभिन्न अवसरों पर स्मारक स्थल पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।

सीमा सुरक्षा बल के जारी पत्र के अनुसार,07/08 अगस्त 2016 की मध्यरात्रि 8-10 आतंकवादियों का एक समूह, खराब मौसम का फायदा उठाते हुए. पाकिस्तान से निचत्रण रेखा पार करके एफडीएल भूरीवाला के वाटर पॉइंट तक आया और 8 अगस्त 2016 को लगभग 05.45 बजे, आतंकवादियों ने ड्यूटी पर मोर्चे में मौजूद संतरियों पर स्वचालित हथियारों से भारी गोलीबारी की। इसके साथ ही पाकिस्तान की एफडीएल हसन ने भी एफडीएल पर फायरिंग शुरू कर दी। ब्यूटी पर तैनात संतरी नं0 110601966 आरक्षक हरिकेश मीना एवं नंबर 131508327 आरक्षक तापस पॉल ने स्थिति को देखते हुए तुरंत जवाबी कार्रवाई की और एफआरपी में रहने वाले अन्य जवानों को सतर्क कर दिया। सीसुब और 17 सिख के शेष जवान, एफआरपी से बाहर आए एवं जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी।

नंबर 143101756 उप निरीक्षक महेंद्र यादव, प्लाटून कमांडर अपनी स्टील से बाहर आ गए एवं अपनी जान की परवाह किए बिना जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी। ন पोस्ट के अंदर आतंकवादियों के प्रवेश को विफल करने के लिए एक ग्रेनेड पूर्वी दिशा की और फेंका। भारी गोलीबारी के बावजूद महेंद्र एमएमजी मोर्चे की ओर बढ़े और आतंकवादियों पर एमएमजी और एलएमजी से गोलीबारी करने का निर्देश दिया। ऐसा करते समय, वह आतंकवादियों की गोली से बुरी तरह घायल हो गए, लेकिन उन्होंने दूसरा ग्रेनेड एफडीएल के पूर्वी हिस्से से, फिर से एफडीएल में जबरन प्रवेश करने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों की ओर फेंका। वे अपने जीवन की अन्तिम सास तक डटे रहे और साथियों को तब तक प्रेरित करते रहे जब तक कि उन्होंने कर्तव्य की बलिवेदी पर राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान नहीं दे दिया। उनका अतिम सांस तक अदम्य साहस, नेतृत्व और कर्तव्य के प्रति समर्पण उदाहरणात्मक और उनके अधीनस्थों के लिए अनुकरणीय है।उप निरीक्षक महेंद्र यादव की त्वरित कार्रवाई, गंभीर खतरे के सामने उच्चतम स्तर की व्यावसायिकता और साहस के लिए उन्हें “वीरता के लिए पुलिस पदक” (मरणोपरांत) प्रदान किया गया।