
- कई दशकों से सुल्तानपुर नगर पालिका में भाजपा ने क्षत्रिय या ब्राह्मण को नही दिया टिकट
- जातिगत समीकरण में सर्वाधिक है ब्राह्मण मतदाता..
- अन्य जिलों की तरह भाजपा कहीं यहां भी न कट जय सिटिंग अध्यक्ष का टिकट।
सुल्तानपुर।नगरपालिका परिषद सुल्तानपुर का चुनाव इस बार दिलचस्प होने जा रहा है।जहां पिछले पांच बार के हुए चुनाव में चार बार भाजपा एक बार सपा ने परचम लहराया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कभी भी इस सीट पर ब्राह्मण या क्षत्रिय दावेदारो पर दांव लगाना उचित नहीं समझा है।जबकि जिले की इस नगरपालिका में करीब 95 हजार वोटर है।जिसमे ब्राह्मण वोटर सर्वाधिक है।
विदित रहे कि करीब 70 फीसद हिंदू मतदाता है।जिसमे ब्राह्मण,वैश्य,क्षत्रिय व अन्य जाति शामिल है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि ब्राह्मण व मुस्लिम के मतो में नाम मात्र का अंतर है।इसके बावजूद ब्राह्मणों की हितैषी माने जाने वाली सत्ताधारी पार्टी भाजपा के जिले से लेकर शीर्ष नेतृत्व ने कभी भी इस पालिका अध्यक्ष के पद पर ब्राह्मण या क्षत्रिय को अपना उम्मीदवार नही बनाया है।
- आधा दर्जन से ज्यादा है भाजपा अध्यक्ष पद के दावेदार
प्रदेश के ज्यादातर जिलो के मेयर व पालिका,पंचायत के सीटिंग अध्यक्षों को इस बार प्रत्याशी नही बनाया गया है।ऐसे में शीर्ष नेतृत्व में पकड़ मजबूत भले हो। निवर्तमान पालिका अध्यक्ष बबिता जायसवाल ने दोबारा टिकट हासिल करने के लिए पार्टी हाई कमान तक जाल बिछा रखा है।जबकि इनके कार्यकाल में जो कार्य हुए सब पर जांच बैठी है।कई बिंदुओं पर दोषी पाए गए थे।आम जनमानस में छवि भी ठीक नहीं रही।फिलहाल जांच व अन्य मामले में हाई कोर्ट ने इन्हे बड़ी राहत दी थी।दो बार लगातार पालिका अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल इस बार भी टिकट मांग रहे है।पूर्व जिला अध्यक्ष रहे जगजीत सिंह छंगू,ज्ञान जायसवाल,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की प्रमुख पूजा कसौधन,आकाश जायसवाल,अखिलेश जायसवाल मैदान में है।पहली बार पूर्व मंत्री ओम प्रकाश पांडेय के पुत्र विवेक पांडेय की भी टिकट मांगने की चर्चा है।
- वोटर की टोह ले दो ब्राह्मण प्रत्याशी है मैदान में
वोटरों के जातिगत समीकरण यदि सही है तो ब्राह्मण वोटरों को रिझाने के लिए कांग्रेस ने युका जिलाध्यक्ष वरुण मिश्र को मैदान में उतार दिया है।वे टिकट की घोषणा से पहले ही मोहल्ले मोहल्ले घर घर वोट मांगना शुरू कर दिए हैं।वही आम आदमी पार्टी ने पूर्व मंत्री संदीप शुक्ला को मैदान में उतारा है।इनके बारे में चर्चा है कि ये मनोनीत तो हो सकते है निर्वाचित नही।वजह इनके लिए वोटर को रिझा पाना मुश्किल है।वही यदि मुस्लिम वोटर सर्वाधिक है तो बसपा व सपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नही किए है।ऐसे में हर पार्टी इस बार मुस्लिम प्रत्याशी से परहेज करेगी या उम्मीदवार बनाएगी।इस पर भी विराम शनिवार 22 अप्रैल तक लग जायेगा।