
सुल्तानपुर लोकसभा कठिन है डगर संसद की…
मेनका गांधी के 9वीं बार सांसद बनने में कांटे ही कांटे।
- दुर्गा प्रसाद निषाद/ इंद्रसेन दुबे संवाददाता
Sultanpur Loksabha Seat 2024 सुल्तानपुर।वरुण गांधी का भाजपा ने टिकट काटकर भाजपा ने उन्हें पहले ही साइड लाइन कर रखा है। उनकी मां मेनका गांधी को काफी विचार विमर्श के बाद टिकट दे दिया, लेकिन भाजपाई ही उनकी जीत में ब्रेकर का काम कर रहे। इससे भी बड़ा फैक्टर ये कि आठ बार की सांसद को सुल्तानपुर में निषाद और कुर्मी वोटरों के छटकने का खतरा लगा हुआ है।यही कारण है हर महीने संसदीय क्षेत्र में तीन-चार दिन आने का ढिंढोरा पीटने वाली सांसद 24 दिनों से लगातार यहां डेरा डाले हुए हैं।

मेनका की ये डर यूं ही नहीं है। कारण स्पष्ट है वर्ष 2014 में वरुण गांधी रहे हों या 2019 में स्वयं वो दोनों की वैतरणी पार निषाद और कुर्मी मतदाताओं ने ही लगाया। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक इंडिया गठबंधन के घटक दल सपा-कांग्रेस ने इस पर पूरा मंथन किया। अंत में इस सीट को कांग्रेस ने कभी खाता न खोलने वाली सपा के खाते में दे दिया। सपा ने भी मेनका की दुःखती नब्ज पर हाथ रखा और निषाद बिरादरी का अंबेडकर नगर से प्रत्याशी लाकर उनके मुकाबले पर उतार दिया। प्रत्याशी हल्का पड़ा तो 28वें दिन टिकट बदलकर गोरखपुर में योगी के सामने मैदान में उतर चुके पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद को लाकर खड़ा कर दिया।
02 लाख के ऊपर निषाद मतदाता तय करेंगे भाग्य का फैसला
परिणाम ये हुआ दो लाख के ऊपर निषाद मतदाता वरुण-मेनका को भूलकर सीधे अपना भाई,अपना बेटा कहकर नारे लगाने लगा।साथ में यादव,मुस्लिम वोटर तो खार खाए ही रहते हैं।इससे परिवार से सांसदी की कुर्सी जाती देखकर मेनका ने एक मई को अपने नामांकन में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद,राज्यमंत्री रामकेश निषाद बुलाया। काफिले में इन मंत्रियों को अगल-बगल रखा लेकिन इस वर्ग पर इसका खास असर नहीं पड़ा।बसपा ने मेनका के सामने कुर्मी बिरादरी से उदराज वर्मा को टिकट दिया,तो कुर्मी वोट साधने के लिए उन्होंने प्रभारी मंत्री आशीष पटेल का चेहरा दिखाया। पर वो भी जादू नहीं कर सके। हालांकि बड़बोले मंत्री चार लाख से जीत का दावा करके लौट गए।गौरतलब रहे कि मोदी-योगी लहर में जब भाजपा की समूचे देश के साथ यूपी में बयार बह रही थी तब मेनका गांधी बमुश्किल14 हजार से जीत सकी थी। उनकी इस जीत में निषाद और कुर्मी बिरादरी का भारी भरकम वोट था। उधर काफी संख्या में मेनका को ब्राह्मण वोटरों ने भी वोट किया। लेकिन डॉ. घनश्याम हत्याकांड के बाद जिस तरह पखावरे भर के बाद वो उनकी पत्नी निशा तिवारी से मिली और गैर जिम्मेदाराना बातें की उससे ब्राह्मण समाज का 25% प्रतिशत वोटर उनसे कटकर अलग हो गया है। इसके अतिरिक्त यादव वोटर भी इस दफा मेनका से खासा नाराज है। जिससे 9वीं बार उनके सांसद बनने के रास्ते में कांटे ही कांटे हैं…….।
फिलहाल देखना यह होगा कि भाजपा इस बार फिर कैसे अपनी नैया पार लगाती हैं।खैर इन दस दिनों में अभी तक कोई दिग्गज नेता इनके प्रचार को धार देने तक नही आ सका है।यही नहीं अपनी मां को जिताने के लिए इनके बेटे वरुण भी नही दिखाई दिए है।जिसकी चर्चाएं आम हैं।जबकि बगल की अमेठी/राय बरेली सीट के भाजपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष समेत अन्य दिग्गजों ने आमद शुरू कर दी है।कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में प्रियंका गांधी लगातार क्षेत्र में जनसभा कर रही है।ऐसे में यही हाल रहा तो सुल्तानपुर सीट पर भाजपा का परचम कायम रखना टेढ़ी खीर होगा।