
- सुल्तानपुर के व्यस्ततम इलाके में पड़ोसी युवक ने मासूम को उतारा मौत के घाट, मांगी थी 5 लाख की रंगदारी
- 12 घण्टे बाद गुमशुदगी दर्ज,72 घण्टे बाद मासूम का मिला शव,नगर पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल।
- पुलिस चौकी के पीछे चन्द कदम की दूरी पर बड़ी वारदात।
सुल्तानपुर।हर कोई अपने पड़ोसी पर खूब यकीन करता है।यहां तो पड़ोसी युवक ही मासूम का हत्यारा बन गया।कर्ज में डूबे युवक ने ही 11 साल के मासूम का पहले अपहरण किया। फिर 5 लाख रु की रंगदारी मांगी। फिरौती की रकम व्यवस्था करने में 36 घंटे से ऊपर लगता देख पड़ोसी अपहरणकर्ता ने गला घोंटकर मासूम की हत्या कर दी।जहां पर पुलिस ने शव के साथ ही हत्यारोपी को अरेस्ट कर लिया है।वही चन्द कदम की दूरी पर पुलिस चौकी व नगर कोतवाली होने के बाद भी मासूम की जान न बचा पाने पर पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है।फिलहाल पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है।मामला नगर कोतवाली के शाहगंज चौकी क्षेत्र के मामला शहर के गांधीनगर मोहल्ले से जुड़ा हुआ है।

बुधवार की भोर मासूम का शव पड़ोसी के घर मे मिलने से हफकम्प मच गया हैं।वाकया 25 नवम्बर की शाम आठ बजे 11 वर्षीय मासूम ओसामा उर्फ साहिल खेलने जाता है।वही से उसका अपहरण हो जाता है।रात दस बजे परिजन खोजने के साथ ही पुलिस को सूचना देते है।प्राथमिकी उसी रात दर्ज होने के बजाय दूसरे दिन 26 नवम्बर को दर्ज की जाती है।27 नवम्बर की सुबह शव सामने ही आरोपी के घर मे मिलता है।परिजन का कहना है कि पुलिस को सूचना देते हुए बेटे को बचाने के लिए मांगी गई फिरौती 5 लाख रु देने को तैयार था।लेकिन व्यवस्था में देर हो गई।परिजन व पुलिस दोनों मासूम की जान नही बचा पाए।आरोपी को परिवार के समेत पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। पुलिस चौकी से चंद कदम पर हुई वारदात से मोहल्ले वासियों में आक्रोश है। पीड़ित घर वाले आरोपी आसिफ उर्फ सोनू को फांसी देने की मांग कर रहे हैं।

कप्तान साहब के एक्शन का मातहतों पर असर नही
इधर एसपी सोमेन बर्मा भले ही जिले की फिसड्डी पुलिसिया कार्यशैली को लेकर आहत हो।जरूरत पडने पर पुलिस कर्मी से लेकर दरोगा,इंस्पेक्टर को हटाने के साथ ही सस्पेंड कर रहे है।फिर भी लापरवाह पुलिस कर्मी सुधरने का नाम नही ले रहे है।नजर डाली जाए तो अभी कुछ माह पहले बड़ी घटना होने के चलते ही इंस्पेक्टर अरुण द्विवेदी, प्रेमचंद, अमित मिश्रा,तरुण पटेल को सस्पेंड व लाइन हाजिर कर दिए थे।फिर भी उन थानों के साथ ही अन्य थानों की भी कार्यशैली वही हैं।वारदात न हो,इस पर नजर रखने के बजाय जमीनों पर कब्जा,पेड़ कटान,तश्करी के जरिये अवैध वसूली में सब मस्त है।
सुल्तानपुर जिले में बड़ी बड़ी घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधी को पकड़ने में असफल है सुल्तानपुर पुलिस
पिछले कुछ दिनों में हुई बड़ी वारदातों के मुख्य आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर है।जबकि अभी छोटी सी कोई वारदात होती है जिसमे गिरफ्तारी का प्रावधान नही है।उन मामलों में दरोगा/विवेचक कड़ाई करते है,हल्के का सिपाही किसी न किसी बहाने आरोपी पर दबाव बनाते रहते है।जबकि करीब डेढ़ वर्ष पहले अधिवक्ता मो. आजाद हत्याकांड का मुख्य आरोपी सिराज अहमद को कोतवाली देहात पुलिस नही पकड़ पाई है।करीब डेढ़ माह पहले सन्तराम हत्याकांड का मुख्य आरोपी भाजपा नेता अर्जुन पटेल दोस्तपुर पुलिस पकड़ से दूर है।कहने को कोतवाल पंडित त्रिपाठी तेज तर्रार माने जाते हैं।अभी दो दिन पहले गोसाईगंज पुलिस को चकमा देकर रोडवेज कर्मी वृद्ध सुरेंद्र पांडेय की हत्या का मुख्य आरोपी अंकित मिश्र ने कोर्ट में सरेंडर कर जेल चला गया,लाइसेंसी असलहा बरामद नही हुआ है।जबकि मृतक का बेटा कई बार आरोपी के लाइसेंसी असलहे को जमा कराने के लिये अफसरों से मिलकर व ऑनलाइन शिकायत की थी।असलहा जमा या निरस्त न होने से हत्या हो गई थी।चौक इलाके में ज्वेलर्स के यहां डकैती मामले का मुख्य आरोपी विपिन सिंह भी रायबरेली में स्वतः सरेंडर किया था।गोसाईगंज थाने के व्यवसाई दिलीप अग्रहरि पर हमला कर 25 लाख की लूट में आजमगढ़ का मुख्य आरोपी मोइनुद्दीन उर्फ मिस्टर अभी भी फरार हैं।ऐसे में बड़ी घटनाओं में मुख्य आरोपी का न मिलना पुलिसिया कार्यशैली की पोल खोलने के लिए काफी हैं।वैसे भी पुलिस की वेस्ट कार्यशैली गुडवर्क के बजाय जनता में अपराध व अपराधियो का दहशत कम होना जरूरी है।