Monday, June 2, 2025
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सुल्तानपुर में बसपा ने रचा चक्रव्यूह:-हाथी के रफ्तार से विरोधी हुए हताश,उदराज वर्मा ने खेला दांव….

Sultanpur Lok Sabha Seat:-सुल्तानपुर लोकसभा चुनाव भी बदलते मौसम की तरह करवट ले रहा है। सूबे के सबसे हॉट सीटों में से एक सुलतानपुर लोकसभा सीट पर हाथी जैसे जैसे अपनी रफ्तार बढ़ा रही है, कमल और साइकिल की मुश्किलें भी वैसे बढ़ रही है।सुल्तानपुर में इस बार भी ‘हाथी’ का ‘महावत’ तय करेगा कि लड़ाई कितनी रोचक होगी।कोई किसी की राजनीतिक रसूख का प्रयोग कर रहा तो कोई चुनावी बिसात पर मोहरें बिछाने में जुटा है।चुनाव भले ही छठे चरण में हो, किंतु चुनावी रंगत चढ़ने लगी है।

दरसल बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी उदराज वर्मा लगातार लोगों के बीच जाकर जनसंपर्क कर रहे हैं और समाज के सभी वर्गों से उनको अपार जन समर्थन मिल रहा है ।गौरतलब हो कि उदराज वर्मा सुल्तानपुर के स्थानीय प्रत्याशी हैं और इसका सीधा लाभ उनको मिलता दिखाई दे रहा है ।जबकि भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के असर के साथ ही साथ सुल्तानपुर जिला भाजपा इकाई की अंतर्कलह भी उनके लिए मुसीबत बनी हुई है। यही नही समाजवादी पार्टी ल में आपसी मतभेद और मनभेद का शिकार है। जिसका पूरा लाभ युवा प्रत्याशी उदराज वर्मा को मिल रहा हैउदराज वर्मा को लगातार मुस्लिम समुदाय के लोगों से भी अपार जन समर्थन मिल रहा है जिससे उनके जीत की राह आसान हो सकती है।

पिछली बार सपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली बसपा एकला चलो की राह पर है। उसने काफी इंतजार के बाद पिछड़ा कार्ड खेलते हुए उदराज वर्मा (Udraj Verma Pankaj) को प्रत्याशी घोषित किया है। 2019 के चुनाव में रनर रहने वाली पार्टी को वह विजेता बना सकेंगे, इसका फैसला तो जनता-जनार्दन करेगी, लेकिन एक बात जो जरूर स्पष्ट है कि हाथी की चाल ने सपा और भाजपा की समस्या बढ़ा दी है। कुर्मी मतों में बसपा की सेंध दोनों दलों के लिए हानिकारक हो सकती है।

बसपा के इस प्रदर्शन को देखें तो साफ है कि बसपा इस सीट पर बेहद महत्वपूर्ण दखल रखती है। बसपा अपने काडर वोटों के बूते जहां हमेशा एक मजबूत दावेदार रहती है, वहीं इस काडर वोट में यदि जिले के प्रभावशाली जाति के व्यक्ति को टिकट दे दिया जाता है तो पार्टी तुरंत लड़ाई में आ जाती है

शतरंज के खेल में हाथी सीधी चाल चलता है। किंतु सियासत में बसपा का हाथी सीधी चाल ही चलेगा यह तय नहीं है। अपना बेस वोट बैंक बचाने के साथ ही बसपा यदि सामान्य जाति से कोई दमदार उम्मीदवार उतार देती है तो इससे सीधा झटका भाजपा को लगेगा। वहीं यदि बसपा मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाती है तो भी इसका सीधा नुकसान सपा को हो सकता है। इसलिए देखना अहम है कि हाथी कहीं घोड़े की तरह ढाई घर की चाल न चल दे।