Wednesday, June 4, 2025
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अवध किसान आंदोलन के प्रणेता-स्वतंत्रता सेनानी बाबा रामलाल की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी का आयोजन,जानिए कौन थे यह असाधारण पुरुष..

  • स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में 13 बार जेल जाने वाले बाबा राम लाल को भूल गया है जिला प्रशासन
  • अभी तक जिले में नही हो सकी है मूर्ति स्थापना
  • लोकतंत्र की जिजीविषा का प्रतीक हैं बाबा रामलाल
  • किसान आंदोलन के प्रणेता की पुण्यतिथि पर आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा

सुल्तानपुर।अवध किसान आंदोलन के प्रणेता और महान स्वतंत्रता सेनानी बाबा रामलाल मिश्र (Freedom Fighter Baba Ramlal Mishra) की पुण्यतिथि पर संगोष्ठी व व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन जिला पंचायत सभागार में किया गया। इस अवसर पर अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार कमलनयन पांडेय ने बाबा रामलाल मिश्र को लोक चेतना का संवाहक बताते हुए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की जिजीविषा का प्रतीक बताया।संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर मौजूद केएनआई के इतिहास विभाग के डा.राधेश्याम सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों की नैतिक अवधारणा को समझने का आह्वान किया, उन्होंने भारतीय संस्कृति की संवेदना और विविधता की समृद्धि को विरासत के रूप में अगली पीढ़ी को समर्पित करने की अपील की, संगोष्ठी में उपस्थिति जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार और कवि डा. डीएम मिश्र ने किसान आंदोलन को ऐतिहासिक बताते हुए इसे लोक चेतना के आंदोलन की संज्ञा दी,।

विशिष्ट अतिथि डा.अरविंद चतुर्वेदी ने जनपद के स्वतंत्रता संग्राम में बाबा रामलाल की भूमिका पर विस्तार से चर्चा किया।इस अवसर पर राजेश त्रिपाठी, लक्ष्मीकांत मिश्र, फिरोज अहमद खान, आशुतोष मिश्र ने भी विचार प्रकट किए, बाबा रामलाल मिश्र के प्रपौत्र व युवक कांग्रेस के अध्यक्ष वरुण मिश्र ने संगोष्ठी के पधारे वरिष्ठ साहित्यकार एवम् विद्वतजनों का आभार प्रकट किया, इस अवसर पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा, जनपद प्रभारी अनीश खां, स्वतंत्रता सेनानी पं.रामप्रताप त्रिपाठी के पौत्र श्रीकांत त्रिपाठी व बाबा के परिवार से गिरीश मिश्र, अनुराग मिश्र, राजीव मिश्र, श्रीश मिश्र, गुंजन मिश्र, धर्मदेव त्रिपाठी, अमिताभ द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे ।

  • बाबा रामलाल के जिक्र बिना अधूरा है स्वाधीनता संघर्ष का इतिहास…

उत्तर प्रदेश का किसान आंदोलन (Kisan Andolan) हो या फिर स्वाधीनता संघर्ष का इतिहास, जिले के बाबा रामलाल के जिक्र बिना अधूरा है। स्वतंत्रता संग्राम (Freedom History=में वह 13 बार जेल गए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू के वह अत्यंत करीबियों में शुमार होते थे। जिले का दुर्भाग्य है कि एक प्रतिमा भी जिले भर में नहीं स्थापित हो सकी है।

जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में बाबा रामलाल का नाम अग्रगण्य है। इनका जन्म नौ सितंबर सन 1868 ई. में शहर से सटे पयागीपुर गांव में हुआ था। इनके पिता देवी परसन मिश्र प्रभावशाली व्यक्तियों में थे। माता कपिला देवी धर्मपरायण महिला थी। शरीर से हृष्ट पुष्ट और लड़ाकू स्वभाव के कारण भाषण सुनने का मौका मिला। इसी के बाद में देश सेवा से प्रभावित होकर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। बाबा रामलाल ने 13 बार जेल यात्राएं की थीं।

सन् 1917 में लोकमान्य तिलक के शोक दिवस के मौके पर छह महीने की सजा और पांच सौ रुपये जुर्माना, 1923 में झंडा सत्याग्रह के दौरान महीने भर की कैद, 1931 में नमक सत्याग्रह के दौरान डेढ़ साल की कैद, 1934 में पांच महीने की कैद उन्होंने झेली थी। 1940 में झंडा लहराते हुए वे सुंदरलाल पार्क में बंदी बनाए गए। 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान दो वर्ष तक वह नैनी सेंट्रल जेल में रहे। जेल में वह लाल बहादुर के साथ एक ही कमरे में रहते थे।