Tuesday, October 14, 2025
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अधिवक्ता संघ के जिम्मेदारों ने की रैंडम चेकिंग,काम करते मिले बिचौलिए,रिकॉर्ड रुम की इंचार्ज ने दलाल को बता दिया सरकारी कर्मी

ये आलम रिकॉर्ड रुम,चकबंदी दफ्तर व बैनामा दफ्तर समेत कलेक्ट्रेट व अन्य तहसीलों में है प्राइवेट कर्मियों की बल्ले बल्ले।तभी महत्वपूर्ण कागजात या तो हो रहे गायब अथवा जा रहे फाड़े।

सुल्तानपुर। योगी सरकार का चाहे जो फरमान हो बिना प्राइवेट कर्मी के कुछ भी होने वाला नहीं है।वैसे भी बिना मनी_राम के कौन सुनता है।कलेक्ट्रेट हो या बैनामा दफ्तर अथवा तहसील कोर्ट, चहुंओर बिचौलिये बकायदा कोर्ट व पटलो पर समय से पहुंचकर ड्यूटी देते है। महत्वपूर्ण अभिलेखों का रख रखाव करते है।सेटिंग गेटिंग ठीकठाक हुई तो अभिलेख को गायब कर देते है।कही गायब में समस्या है तो उस पन्ने को उड़ा ही देते है।फिलहाल ये नजारा देखना हो तो कलेक्ट्रेट के रिकॉर्ड रुम को देख सकते है फटे पन्नो का अंबार लगा है।

जिसमें प्रमुख भूमिका प्राइवेट कर्मियों,बिचौलियों व दलालों की है।ये अपनी पैठ इतना बना लिए है कि ये अधिकृत बाबू रहे या न रहे ये खुद ही साहब से साइन करा लेते है।खैर इनसे दफ्तरों की दूरी तभी संभव है जब इन सबके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो,अन्यथा कुछ दिन बाद फिर अपने मिशन में लग कर मनमाफिक आदेश करवाते है और अभिलेखों की हेराफेरी तो आम बात है।गुरुवार को अधिवक्ता संघ के बार महासचिव दिनेश दुबे,अध्यक्ष अनुशासन समिति कुशल तिवारी व मीडिया प्रभारी विमल दुबे की संयुक्त टीम अचानक अभिलेखागार जा पहुंची।यहां पर बिचौलिए ही रिकॉर्ड रुम के इंचार्ज कंचन श्रीवास्तव को घेरे मिले और नकल पर साइन कराते दिखे।जिसे कंचन ने सरकारी कर्मी बता डाला।इस बाहरी व्यक्ति की बकायदा सीट है जब ये सरकारी कर्मी बता रही तो नकल धारक कैसे जानेगा।वही कही ऐसे कर्मी अथवा दलाल काम करते मिले जो अधिवक्ता नहीं थे।

मोटी रकम वसूलने के चक्कर मे अभिलेखों में हेरा फेरी

इन इंचार्ज पर वसूली का आरोप पहले भी लग चुका है।सूत्रों की माने तो कोई भी नकल लेनी है तो 100 से 300 रु सुविधा शुल्क देना होगा। मोटी रकम लेकर कई अभिलेख फाड़ दिए गए है, कागजों के कूड़े का भंडार लगा है।तभी रिकॉर्ड न होने का लाभ भी मिल रहा है।बार के अनुशासन समिति /क्रियान्वयन अनुपालन समिति के अध्यक्ष कुशल तिवारी एडवोकेट की माने तो चकबंदी अधिकारी प्रथम तो अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे है।कई पत्रावली आदेश में कई माह से है।लेकिन डिमांड तीन लाख रु की हैं,पक्षकार एक लाख देने को तैयार है।यहां पर सुशील समेत कई बिचौलिए है जो यही सेटिंग गेटिंग करना उनका काम है।फिलहाल चकबंदी अधिकारी चंद्रिका प्रसाद कादीपुर में तैनाती के समय से लेन देन में माहिर माने जाते है।यहां भी कुछ अधिवक्ताओं व बिचौलियों से अंडर टेबिल लेने में गुरेज नहीं करते हैं।फिलहाल टीम अचानक उप निबंधक/बैनामा दफ्तर पहुंची तो बैनामे में खामी न निकाली जाय इसके लिए दो अलग अलग लोग हजारों रु दे ही रहे थे कि पहुंची टीम ने पैसा वापस कराते हुए बैनामा करवाया।तहसील सदर में दो तहसीलदार कोर्ट,तीन नायब तहसीलदार कोर्ट,कलेक्ट्रेट के अन्य अदालतों में भी वही आलम है।पैसा दीजिए हर नामुमकिन काम लीजिए।कुछ प्राइवेट कर्मी रोजाना दफ्तर पहुंच जाते है वे साहब के घर तक जाकर सेट कर देते है।खैर हो चाहे जो किसी भी दफ्तर में बिना प्राइवेट कर्मी के न तो काम होने वाला है न ही सरकारी वाहन बिना प्राइवेट चालक के चलने वाली हैं।वजह यही तो कमाऊ पूत हैं।हां ये हो सकता है कि मीडिया व कोई जांच टीम की इंट्री पर ही रोक लग जाय।खैर कलेक्ट्रेट में तैनात चाहे महिला बाबू हो या पुरुष बाबू।सभी की जड़े बहुत मजबूत है।इनके खिलाफ एक्शन तो दूर यहां से दूसरे तहसील में भेजवा नहीं सकते है।बहुतेरे तो ऐसे है जिन्होंने कलेक्ट्रेट व सदर छोड़ अन्य तहसीलों का मुंह तक नहीं देखा है।इनका कार्यकाल कई वर्ष से यही है।फिलहाल अधिवक्ता संघ की जांच टीम व्याप्त भ्रष्टाचार व प्राइवेट कर्मियों समेत तैनात बाबुओं के खिलाफ डीएम से मिलकर लिखित तौर पर शिकायत करेंगे।देखना ये होगा कि कोई एक्शन होता है या इति श्री हो जाएगा।