Friday, April 11, 2025
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रामनगरी अयोध्या में चल रही श्रीमदभागवत कथा:-सोते सोते युग बीत गए,जागे तो रह गए हैरान-आचार्य मधुर जी…

श्याम के शिवाय दूसरा कोई पुरूष संसार मे नही हो सकता

अयोध्या।रामनगरी के मझवां गद्दोपुर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के 6वें दिन कथा व्यास आचार्य श्री मधुर जी महाराज ने कहा कि श्याम के शिवाय दूसरा कोई पुरूष संसार मे नही हो सकता है।जीव ने ब्रम्ह को,प्रेमी ने प्रियतम को,साधु ने साध्य को,भक्त ने भगवान को प्राप्त किया है।कथा व्यास ने गोपी विरह, कंस वध, रुक्मिणी विवाह, महारास और मुचकुंद महाराज का उद्धार जैसी कथाओं का भावपूर्ण वर्णन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा पीठ के पूजन के बाद उन्होंने भजनों के माध्यम से कहा कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ते हैं तो प्रभु भक्तों की पीड़ा हरने के लिए अवतार लेते है।

श्री कृष्ण व रुक्मणी जी की झांकी के दर्शन किये कथा में सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़

कथा व्यास आचार्य मधुर जी महाराज ने कथा 6 वें दिन श्री कृष्ण और रुक्मणि का विवाह बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। विवाह उत्सव के दौरान प्रस्तुत किए गए भजनों के दौरान श्रद्धालु अपने आप को रोक नहीं पाए और जमकर नाचे। कथा व्यास मधुर जी ने कहा कि रुक्मणि भगवान की माया के समान थीं, रुक्मणि ने मन ही मन यह निश्चित कर लिया था कि भगवान श्री कृष्ण ही मेरे लिए योग्य पति हैं लेकिन रुक्मिणी का भाई रूकमी श्रीकृष्ण से द्वेष रखता था इससे उसने उस विवाह को रोक कर, शिशुपाल को रुक्मिणी का पति बनाने का निश्चय किया, इससे रुक्मिणी को दुःख हुआ। उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र को भगवान श्री कृष्ण के पास भेजा साथ ही अपने आने का प्रयोजन बताया। इसके बाद श्री कृष्ण जी विदर्भ जा पहुंचे। उधर रुक्मणी का शिशुपाल के साथ विवाह की तैयारी हो रही थी। परंतु उनकी प्रार्थना का असर हुआ और श्री कृष्ण का विवाह रुक्मणी के साथ हुआ। कथा सुनने आए सैकड़ों श्रद्धालुओं भगवान श्री कृष्ण व रुक्मणी जी की झांकी के दर्शन किये कथा में सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

कथा के मुख्य यजमान शिव प्रसाद पाण्डेय व पुष्प मालती पांडेय के निज निवास पर आयोजित कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते आचार्य मधुर जी महाराज ने कहा कि असुरों व देवताओं में युद्व हो रहा था, तब युद्व में लड़ते हुए महाराज मुचकुन्द महाराज थक चुके थे तो उन्होंने भगवान इन्द्र को कहा कि वह अब बहुत थक चुके हैं. वह आराम करना चाहते हैं. उन्हें कोई ऐसा स्थान बताएं जहां उनको कोई परेशान ना करे और वह आराम से चैन से नींद ले सकें. तब भगवान इन्द्र ने उन्हें धौलागढ़ (धौलपुर) की पर्वत श्रखंला में यह गुफा बताई क‍ि तुम वहां जाकर आराम कर सकते हो, वहां पर तुम्हें कोई भी परेशान नहीं करेगा ना ही तुम्हारी नींद में खलल डालेगा. साथ ही यह भी वरदान दिया कि जो भी तुम्हें जगाने की कोशिश करेगा या परेशान करेगा. वह तुम्हारे आंख खोलने पर और तुम्हारे देखने पर जल कर वहीं भस्म हो जायेगा. मुचकुन्द महाराज पर्वत श्रंखला में सोने चले गए.

उस समय ब्रज क्षेत्र में एक राक्षस कालयवन के अत्याचारों से मथुरा नगरी भयभीत थी जिसके चलते ब्रज क्षेत्र के लोगों ने रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण से सुरक्षा की गुहार लगाई जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कालयवन राक्षस को युद्ध के लिए ललकारा और दोनों के बीच कई दिनों तक भीषण युद्ध चलता रहा लेकिन युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण उसे नहीं हरा पाए और कालयवन राक्षस भगवान श्रीकृष्ण पर भारी पड़ने लगा. जिसके चलते कुछ सोचकर भगवान श्रीकृष्ण ने मैदान छोड़ दिया. तब से ही उनका नाम रणछोड़ पड़ा.

भगवान श्रीकृष्ण को महाराज मुचकुन्द को दिया वरदान याद आया और कालयवन राक्षस को ललकारते हुए भागे. आगे-आगे श्रीकृष्ण पीछे-पीछे कालयवन राक्षस. श्रीकृष्ण सीधे उसी गुफा में जा घुसे जिसमें महाराज मुचकुन्द गहरी नींद में सोये हुए थे. सोये हुए मुचकुन्द महाराज पर श्रीकृष्ण ने अपना पीताम्बर वस्त्र डाल उन्हें ढक दिया.

चिरनिद्रा में सोये मुचकुन्द महाराज को लात मार कर जगाया

जब कालयवन राक्षस पीछा करते हुए गुफा में जा पहुंचा तो वह श्रीकृष्ण का पीताम्बर वस्त्र देखकर बहुत क्रोधित हुआ और कहा कि मेरे डर से रणछोड़-छलि‍ये यहां आकर छुप कर सो गया है और उसने चिरनिद्रा मे सोये मुचकुन्द महाराज को लात मारकर जगा दिया.

लात का प्रहार पड़ते ही जब मुचकुन्द महाराज जागे तो उन्होंने कालयवन की ओर गुस्से से देखा तो वरदान के मुताबिक देखते ही कालयवन राक्षस वहीं भस्म हो गया. कालयवन राक्षस के भस्म होते ही भगवान श्रीकृष्ण मुचकुंद महाराज के सामने निकल कर आ गए ओर उन्हें प्रणाम कर सारा वृतांत सुना दिया.इस मौके पर अभिनव द्विवेदी,पंकज पांडेय, पुष्कर पांडेय,साधना पांडेय,मंजू तिवारी,जीवेश तिवारी,सृष्टि तिवारी व अन्य परिवारीजन मौजूद रहे।