अवैध टैक्सी संचालन के रोक लगाने में रुचि नहीं ले रहा एआरटीओ व नगरपालिका के जिम्मेदार,अवैध वसूली अभी भी जारी
जब सख्त हुए एसपी तो दबंग ठेकेदार व अधिवक्ता से दुर्व्यवहार व लूट करने का आरोपी गया जेल फिर भी गुर्गे कर रहे वाहनों से वसूली।
सुल्तानपुर।अमहट/पयागीपुर में अवैध टैक्सी संचालन धड़ल्ले से हो रहा है,जहां पर एसपी की सख्ती जारी है।वही नगर पालिका के जिम्मेदार यह कह कर बला टाल ले रहे कि वहां कोई पार्किंग नहीं है।ऐसे में सवाल ये है कि जब अधिकृत पार्किंग नहीं है तो वसूली वाले कैसे वसूली कर रहे।नगर पालिका की तरफ से इस पर एक्शन क्यों नहीं किया जा रहा। जबकि पयागीपुर व अमहट के मध्य आरटीओ दफ्तर है,रोजाना इसी रास्ते से दो दो एआरटीओ व पीटीओ तक गुजरते है लेकिन क्या वजह है जो चालान जैसी कार्यवाही से परहेज कर रहे है।कभी कभार दो सवारी वाहनों का चालान कर इतिश्री कर लेते है।

अब बात की जाय लोकल पुलिस व यातायात पुलिस की तो सब सेटिंग गेटिंग में मशगूल रहते है।गाहे बगाहे बेगारी इन्हीं वाहनों की लेनी होती है इस लिए जब जायज है। खैर अब एसपी साहब की इन अवैध टैक्सी संचालन व वसूली में शामिल लोगों के खिलाफ भृकुटि टेढ़ी हो गई है।जबकि वसूली करने वाले काजिम के खिलाफ पहले से कई मुकदमे दर्ज है।लेकिन यह पहली बार हुआ कि एसपी की सख्ती के चलते नगर पुलिस की दाल नहीं गली और काजिम को जेल जाना पड़ा।फिलहाल गुर्गे अभी भी कर रहे वसूली भले ही अधिवक्ता से दुर्व्यवहार व लूट के मामले में अवैध टैक्सी संचालन का जिम्मेदार काजिम जेल चला गया लेकिन उसके बाद भी टैक्सी संचालन रुकने का नाम नहीं ले रहा है इसके लिए सीधे-सीधे नगर पालिका,एआरटीओ, महकमा भी जिम्मेदार है जो मौन है।

सूत्रों की माने तो प्रति वाहन से₹2000 हर माह व रोजाना ₹200 वाहन चालकों से वसूली की जाती है लेकिन इस अवैध टैक्सी संचालन पर पुलिस को छोड़ किसी अन्य अफसर की नजर नहीं पड़ रही है।ऐसे में अवैध टैक्सी संचालन में जिम्मेदारों(नगरपालिका, आरटीओ,ट्रैफिक,लोकल पुलिस) की अहम भूमिका है।अभी भी काजिम के गुर्गे वसूली कर रहे है।पिछले कई वर्षों से ये ठेकेदार वाहनों की जरूरत पड़ने पर बेगारी भी अफसरों को देता है।जिसका मलाल लोकल पुलिस को है। खैर साहब की सख्ती के बाद पुलिस की भौहें तिरछी हो गई है। देखना ये होगा कि वसूली पर अंकुश लग पाता है या फिर वही खुला खेल फर्रुखाबादी रहेगा।खैर पुलिस के हाकिम के एक्शन के बाद न “खेलब न खेलै देब “लोकल पुलिस/ट्रैफिक पर ये कहावत सटीक बैठ रहा है।जिसकी चर्चाएं आम है।








