
कोई जनबल,तो कोई धन -बाहुबल को लेकर मांग रहा टिकट।
सत्ता धारी पार्टी में टिकट के लिए मारामारी, अन्य प्रमुख दलों के सामने दावेदारों का संकट।
सुल्तानपुर।(दस्तक भारत ब्यूरो)।लोकसभा चुनाव में हर एक छोटा बड़ा नेता,अपने अपने हिसाब से,हर एक पार्टी में टिकट लेने के लिए मारामारी कर रहा है। केंद्र व प्रदेश में विराजमान भाजपा पार्टी में भी सांसदी के लिए दावेदारों की लंबी सूची है। वही सपा बसपा के साथ ही अन्य प्रमुख दलों में दावेदारों का संकट बरकरार है,या यूं कहें अन्य पार्टियों में दावेदारों को लेकर सन्नाटा पसरा हुआ है। फिलहाल सुल्तानपुर लोकसभा सीट के लिए कई बार सांसदी का परचम लहराने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर मजबूती के साथ चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।इसी मजबूत दावेदारी के चलते ही अन्य पार्टियां भी अपने प्रत्याशी घोषित करने में जल्दबाजी नहीं कर रही है। सीधे-सीधे यह कहा जाए कि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी घोषणा के बाद ही अन्य पार्टी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारना चाह रहे हैं। कहीं भाजपा ने वर्तमान सांसद या यूं कहें कि गांधी परिवार को बायकॉट करना चाहा तो सुल्तानपुर के चुनावी समर में बड़ा उलट फेर निश्चित है।
पार्टीगत के साथ ही खुद का भी है जनाधार
देखा जाय तो वर्तमान सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका संजय गांधी को छोड़ भाजपा में दावेदारो की भले ही टिकट के लिए लंबी लाइन हो।फिलहाल ये तो तय हैं कि ऐसा सांसद देश में कोई दूसरा नहीं है जो बाहरी होते हुए भी सर्वाधिक भ्रमण अपने संसदीय क्षेत्र में रखता हो।इसी लगाव के चलते जिले की जनता माता जी कह कर पुकारती हैं।वैसे भी चाहे कोरोना काल रहा हो या अन्य अवसर या सामान्य तौर पर भी कम से कम दो से तीन विजिट तीन चार दिवसीय का प्रत्येक माह में जरूर रहता है।इस दौरान जन चौपाल,जनता दरबार आदि में शरीक हो दुख दर्द जान समस्या का समाधान हर हाल में कराती रही हैं।अन्य दिनों में जिला पंचायत में बने सांसद संवाद केंद्र पर प्रतिनिधि रणजीत कुमार या अन्य कोई जिम्मेदार मिल जनता की सुनता है,समस्या हल कराता है।ऐसे में इनके जनाधार पर कोई उंगली उठने का प्रश्न ही नहीं है।इसी बीच सप्ताह भर पहले भाजपा की पहली सूची में51उम्मीदवारों के नाम में यह बड़ा नाम शामिल न होने से सबको चौका दिया।खैर अभी दो दर्जन सीटों पर घोषणा बाकी है।जिसमे कई खाटी भाजपाई वंचित रहे है।जिसमे प्रमुख रूप से नितिन गडकरी, मेनका गांधी,वरुण गांधी,बृजभूषण शरण सिंह, वीके सिंह समेत कई शामिल है।खैर मेनका गांधी के बारे में कोई निगेटिव चर्चा नही है।केवल वरुण गांधी की सरकार विरोधी बयान बाजी से अटकलें तेज हो गई है।
भाजपा में दावेदारों की है लंबी फेहरिस्त,पार्टी के नाम पर जीत लेंगे चुनाव-
वही जिले में नजर डाली जाय तो दो दर्जन दावेदार पीएम मोदी व कमल के भरोसे अपनी जीत तय मान रहे है।बस उन्हे टिकट मिल जाय।जिसमें अधिकारी व एक बार विधायक रह चुके देवमणि दुबे भी सांसदी का टिकट मांग रहे है।जबकि दोबारा विधायकी का टिकट तक नही ले पाए।वही सुल्तानपुर के रहने वाले राजेश्वर सिंह लखनऊ के एक विस से विधायक है।ये राजनीति में न आए होते तो कोई इन्हे इस जनपद के है जानता तक नही था।इसके पहले ये अधिकारी थे।ये भी दावेदार है।प्रेम शुक्ल भाजपा में राष्ट्रीय प्रवक्ता है।डिबेट में माहिर है।ये भी चांदा क्षेत्र के रहने वाले है।टिकट की लाइन में है।सीताराम वर्मा दो बार से लगातार विधायक है, इसलिए टिकट चाहिए।राज प्रसाद उपाध्याय निषाद पार्टी व भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी थे और विधायक है।इसी पार्टी से फिर एमपी की दावेदारी है। चिकित्सा क्षेत्र में सेवा करने के साथ ही दो दो बार लगातार जिलाध्यक्ष पद पर काबिज डा.आरए वर्मा भी जनता के बीच चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।वही डा.जेपी सिंह भी दावेदार है।शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित पिछले कुछ दिनों से होर्डिंग बैनर से चर्चा में आए वेद प्रकाश सिंह भी किसी रास्ते राजनीति में इंट्री करना चाह रहे हैं।डा.वीणा पांडेय चुनाव में दिखती है।पहले भी टिकट ले चुकी है। बसपा सरकार में मंत्री रह चुके जयनारायण तिवारी इस बार भाजपा से टिकट मांग रहे है।करीब तीन दशक से एमएलए नही बन पाए है।ये कई पार्टी में रह चुके है। खाटी भाजपाई संजय सिंह त्रिलोकचंदी भी टिकट की फिराक में है।योगी सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा पाई सोनम किन्नर भी टिकट चाह रही है।वे पालिकाध्यक्षी में रनर रह चुकी है। विधायक विनोद सिंह सफल हुए तो अपने बेटे पुलकित सिंह को टिकट दिला सकते हैं।वही राजनीति में इंट्री कर लगातार जनप्रतिनिधित्व करने वाले शिवकुमार सिंह अपनी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह के लिए प्रयासरत है।वजह राजनीतिक गोटी मजबूती के साथ बिछाने में माहिर है।लगातार परचम लहरा रहे है।
जिले में सांसदी कर चुके डा.संजय सिंह अमेठी भी यही से टिकट मांगने की सुगबुगाहट है।इनका नारा रहता है कि एक वोट दीजिए दो जनसेवक पाइए।फिलहाल कई बार से असफलता ही हाथ लगी है।अभी भाजपा के पक्ष में वोटिंग करने वाले सपा विधायक मनोज पांडेय रायबरेली को यहां से टिकट मिलने की चर्चा सोशल मीडिया पर रही।फिलहाल बहुत से ऐसे दावेदार है जो आज तक प्रधानी तो दूर गांव की सदस्यी/ नगर में सभासद तक कभी नही बने है।फिर भी दिवास्वप्न देख रहे है।वैसे जब चुनाव आता है तो ऐसे लोग ही बरसाती मेढ़क की तरह दिखाई देते है।इन लोगो को चुनाव पहले व बाद में जनता से कोई लेना देना नही है।
सपा- कांग्रेस,बसपा,आप को दूंढे नही मिल रहे दावेदार
जिले में इंडिया गंठबंधन भी प्रत्याशियों की घोषणा करने में पीछे है।बताया जाता है कि इस जिले की सीट सपा के खाते में है।सपा के धुरंधर नेता चुप्पी साधे हुए है।यहां पर अरुण वर्मा,संतोष पांडेय,ताहिर खां,राम चंद्र चौधरी,शकील अहमद,भगेलू राम आदि कोई दावेदारी नही कर रहे है।बसपा से चाहे डा. शैलेंद्र त्रिपाठी हो या डा. डीएस मिश्रा या पूर्व मंत्री ओपी सिंह,पूर्व एमएलसी डा. ओपी त्रिपाठी सभी चुप है।अंदर खाने की माने तो सत्ता धारी पार्टी के जनाधार को देख बेस वोटर वाली पार्टी भी सकते में हैं। बसपा से सांसद रह चुके वर्तमान सपा विधायक मो. ताहिर खां भी कोई रुचि नहीं ले रहे।यही नहीं हर समय सोशल मीडिया व अखबारों के जरिए अपनी पहचान रखने वाले समाजसेवी पीतांबर सेन उर्फ संतोष यादव भी लोस चुनाव में सपा से दावेदारी में हैं।
फिलहाल वे पहचान के मोहताज नहीं हैं। हर विस/लोस चुनाव में किस्मत अजमाने वाले भद्र परिवार के भ्राता द्वय की चुप्पी इस बार लाजमी है।वजह कोर्ट ने सोनू व मोनू सिंह के साथ ही शिवकुमार सिंह व उषा सिंह के खिलाफ अदालत ने सजा सुनाई थी।उसी के चलते मोनू सिंह की प्रमुखी जा चुकी है।दूसरा लोस चुनाव में चंद्रभद्र सिंह सोनू बसपा/सपा के सिंबल से लड़े थे।लेकिन सफलता नहीं मिल पाई थी।ऐसे में कोर्ट से राहत मिल भी जाय तो सोशल मीडिया पर मिल रहे भारी जनसमर्थन जब तक वोट में नही बदलेंगे तब तक भद्र परिवार को हार का सामना करना तय है।
कही भाजपा पैराशूट वाला उम्मीदवार न उतार दे
यदि भाजपा हाई कमान जनाधार वाले दावेदार को टिकट से वंचित कर किसी अन्य को प्रत्याशी बनाया तो इस सीट को गंवाने में देर नहीं लगेगी। वजह भी साफ है कि वर्तमान सांसद मेनका गांधी एक ऐसी नेता है जिन पर कामवाद के सिवा जाति वाद लागू नहीं होता।अन्य किसी को उतारने से पहले जातिगत समीकरण टटोलना होगा।इसके इतर या तो हाई प्रोफाइल वाला दिग्गज नेता पैराशूट से लाया जाय तभी सफलता मिल सकती हैं।अगल बगल जनपद के प्रत्याशियों पर नजर दौड़ाई जाय तो जौनपुर,अयोध्या में क्षत्रिय प्रत्याशी,प्रतापगढ़ में ओबीसी,सुल्तानपुर में कामवाद से इतर ब्राह्मण/क्षत्रिय-पिछड़ा पर दांव भाजपा लगा सकती है।