
- सपा सरकार की स्वीकृति के छह साल बाद भी गोमती पुल का निर्माण अधूरा,दंश झेल रहे ग्रामीण।
- काम कम पैसा ज्यादा निकल जाने के मामले में डीपीएम हो चुके है सस्पेंड।
- सांसद व भाजपा विधायक के प्रयास के बाद भी नही बना पुल।
- विकास महकमे के सभी अफसर काट रहे नौकरी के दिन
सुल्तानपुर।योगी सरकार में सेतु निगम के अफसर मनमानी पर उतारू है।इनके लिए चाहे जो सरकार हो कोई मायने नहीं रखता।कमीशन खोरी इस कदर कर रहे है कि योजना का चाहे काम पूरा हो या न हो पैसे का बंदरबांट कर लेने में आगे रहते है।एक पुल के निर्माण में छह वर्ष बीत गए फिर भी पूरा ही नही हुआ है।जबकि जल्द से जल्द निर्माण पूरा हो इसके लिए सांसद मेनका गांधी व विधायक विनोद सिंह अफसरों को कई बार निर्देशित कर चुकी हैं।
- सपा सरकार ने जिले में दी थी दो पुल की स्वीकृति-
पहला पुल जिले के नगर से सटे सिरवारा पर बनना था ,को बनकर चालू है।वही दूसरा दूबेपुर ब्लाक के कुड़वार रोड से इमिलिया गांव के पास गोमती नदी पर एक नए पुल की स्वीकृति वर्ष 2016 में सपा सरकार ने पूर्व विधायक अनूप संडा के प्रयास से हुआ था।इस पुल के निर्माण में 21करोड़ 60लाख रु की स्वीकृति हुई। साथ ही कई लाख रु तत्काल रिलीज भी हुआ।इस पुल के निर्माण का जिम्मा सेतु निगम को दिया गया।
इस धनराशि में सेतु निगम को 13करोड़ 26लाख रु में पुल निर्माण,वही 07करोड़ 80लाख रु.से संपर्क मार्ग तैयार होना है।जब भी शासन से चाहे जिले में नोडल अफसर आते हो,कमिश्नर या कोई मंत्री यहां तक कि प्रभारी मंत्री तक इस निर्माणाधीन पुल का निरीक्षण करते है जल्द पूरा कराने का निर्देश देते है।फिर भी इस कार्यदाई संस्था के जिम्मेदारों पर जूं नहीं रेंगता है।डीएम रवीश गुप्ता व सीडीओ अंकुर कौशिक भी माह में एक से दो बार निरीक्षण कर जायजा लेते रहते हैं।फिर भी निर्माण कब पूरा होगा इसका पता नही हैं।
- व्यय धनराशि के सापेक्ष काम कम होने पर नप चुके है जिम्मेदार-
अभी हाल में ही डीएम रवीश गुप्ता ने निर्माणाधीन पुल का आकस्मिक निरीक्षण किए तो पता चला कि 12करोड़ 59लाख रु व्यय हो चुका था। निर्गत धनराशि के सापेक्ष कम कार्य पाए जाने पर निगम के सीनियर अफसरों को पत्र लिख कर अवगत कराया गया।जिस पर पूर्व डीपीएम प्रशांत कुमार के खिलाफ निलंबन जैसी विभागीय कार्यवाही की गई
फिलहाल अब निर्माण समय से पूरा कराने का जिम्मा डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर सूरज कुमार गर्ग के पास है।उनका कहना है कि पूर्व डीपीएम पर कोई कार्यवाही नहीं हुई थी बल्कि सम्मान के साथ उन्हे मुख्यालय अटैच किया गया।खैर देखना ये होगा कि गुणवत्ता पूर्ण तरीके से आगामी जून 2023 तक पूरा करने के निर्देश है ऐसे में कहां तक ये साहब सफल होते है।कार्यदाई संस्था और धनराशि की मांग डीएम के जरिए भेजा है,उम्मीद है अब यह धनराशि 13.26करोड़ के बजाय 15.96करोड़ हो जायेगी।
- पुल बनने से दूरी होगी कम,इन्हे मिलेगी सहूलियत-
यदि इमलिया का निर्माणधीन गोमती पुल बन गया तो समय व दूरी दोनो की बचत होगी।इससेगोडवा,इमलिया,राम नगर,चुनहा,ढकवा,मुरली नगर,पलहीपुर के रहने वाले लोग अयोध्या के रास्ते कही भी जाना चाहेगे तो कम से कम 12किमी दूरी कम होगी।साथ नगर के व्यस्ततम इलाके से गुजरना नही पड़ेगा।वही गोमती के एक छोर पर बसे गांवों से दूसरे छोर के आम कोल,अंगना कोल,मुंशी गंज आदि गांवों को तत्काल पहुंच जायेंगे।